Atmadharma magazine - Ank 271
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 79 of 81

background image
जुग जुग जीवो कहान हमारा
दिल भविजननुं हित धरनारा.....जुग जुग जीवो कहान हमारा....
जड चेतन भिन्न बतावनारा....जुग जुग जीवो कहान हमारा.....
मुमुक्षुने मोक्षमार्ग देखाडी, दिनरातनी तें परवाह न करी;
निज स्वरूपना साधनहारा, जुग जुग जीवो कहान हमारा...
वैशाख सुद बीज मंगल आवी, गुरु–जन्मोत्सव वधामणा लावी;
दिव्य दुदुंभी वाजां वाग्या.... जुग जुग जीवो कहान हमारा....
पंचमकाळमां भूला पडेला....भविजनने मार्गदर्शन मळीया;
भवअंत पामशुं तमने भजतां....जुग जुग जीवो कहान हमारा...
मोतीचंदभाईना कूळदीपक छो, उजमबाना लाडीला नंद छो;
अम सेवकना जीवन–आधारा, जुग जुग जीवो कहान हमारा....
(जयश्रीबेन जैन: वींछीया)