Atmadharma magazine - Ank 271
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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पू. गुरुदेवना ७७मा जन्मोत्सव प्रसंगे गुंथेली, धर्मात्माना
अंतरंग जीवननुं आलेखन करती ७७ पुष्पोनी आ पुष्पमाळा धर्मात्मानो
महिमा अने ओळखाण करावीने एमना प्रत्ये परम भक्ति जगाडे छे, ने
आत्माने धर्मनो रंग चडावे छे. सौने आ पुष्पमाळा गमशे. –सं.

१. धर्मात्मानुं जीवन सम्यक्त्वरूपी अमूल्य रत्नवडे अलंकृत छे.
२. धर्मात्मा सर्वज्ञपरमात्माने ओळखीने जिनेश्वरनंदन थया छे.
३. धर्मात्मा आनंदमय मोक्षमार्गमां केलि करे छे.
४ धर्मात्मानुं सम्यग्ज्ञान ए केवळज्ञाननी ज जातनुं छे.
प. धर्मात्मा ज सिद्धपरमात्माना अतीन्द्रिय आनंदने जाणे छे.
६. धर्मात्मा अनंत शक्तिसंपन्न निजवैभवने जाणीने ध्यावे छे.
७. धर्मात्माने ज देव–गुरुनी सम्यक् भक्ति खीले छे.
८. धर्मात्मा ज मुनिधर्मना साचा उपासक होय छे.
९. धर्मात्मानो संग मुमुक्षुने आराधनानो उत्साह जगाडे छे.
१०. धर्मात्मानी साची ओळखाण जीवोने परम दुर्लभ छे.
११. धर्मात्मा प्रत्येनी अर्पणता संसारनां दुःखने छेदी नांखे छे.
१२ धर्मात्मा ज्यां बिराजे छे त्यां नित्य आनंद मंगळ वर्ते छे.