फेरव्युं छे.....महा उद्यमपूर्वक शीघ्र मोक्षपद साधवा माटे जे कटिबद्ध
थयो छे. आत्मतत्त्वनी रुचि वडे मुमुक्षुतानी भूमिकामां आवीने
प्रगट करी छे, जगतना पदार्थो करतां पोतानुं चैतन्यपद जेने
जेनुं चित्त अतिशयपणे लागेलुं छे, ज्ञानी पुरुषोनां वचनोवडे जे
पोताना आत्मामां झडपथी नवा नवा अपूर्व संस्कार सींचतो
जवाबदारीना भानमां जे सदा जागृत वर्ते छे, जेनुं चित्त
एवो आ मोक्षार्थी पोतानी नवीन कार्यभूमिकामां परम प्रीतिथी
वर्ततो थको, पोताना आत्मविश्वास अने आत्मउल्लासपूर्वक