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याद आवे छे–चार श्रुतधाम
जेठ सुद पांचम: श्रुतपंचमीनुं महान पर्व.
ए प्रसंगे चार पवित्र श्रुतधामनुं स्मरण थाय छे–
१. पहेलुं पवित्र श्रुततीर्थ राजगृहीनुं विपुला–
चल...के ज्यां वीरप्रभुए श्रुतना धोध वहाव्या....ने
गणधरदेवे ते झीलीने बारअंग रूपे गूंथ्या.
२. बीजुं पवित्र श्रुततीर्थ गीरनारनी चंद्रगूफा....के
ज्यां धरसेनस्वामीए पुष्पदंत–भूतबलि मुनिवरोने
अमूल्य श्रुतवारसो सोंप्यो
३. त्रीजुं श्रुततीर्थं अंकलेश्वर....ज्यां ए जीनवाणी
पुस्तकारूढ थई; ने चतुर्विधसंघे श्रुतनो महोत्सव कर्यो.
४. चोथुं श्रुततीर्थं मूडबिद्रि....ज्यां ए जिन
वाणी ताडपत्र उपर सुरक्षितपणे बिराजमान रही,
अने आजे आपणने प्राप्त थई. नमस्कार हो ए
श्रुतदाता संतोने अने ए जिनवाणी माताने.
वर्ष २३: अंक ८: वार्षिक लवाजम रूा. चार वीर संवत २४९२ जेठ