तेमना प्रत्ये आ काव्यद्वारा पोतानी जे ऊर्मि व्यक्त करे छे ते गमी, तेथी अहीं
आभार साथे प्रगट करी छे. सं.
तमे तो मारा प्रेमी प्राणाधार छो.
हे संत मारा. जीवनना आधार छो.
तारी कृपाथी मारुं जीवन आनंद चाले,
तारी आशिषे एनां फूलडां ऊगे ने फाले;
जीवनना रणमां न्यारी वनस्थळी छे तमारी;
तापे तपेलुं हैयुं छाया पामे छे भारी;
तमे छो पिता ने माता, सखो तमे स्नेही,
प्राण तेम जीवन ने देह वळी देही;
कृपानी अखंड वर्षा वरसी रहेजो प्रेमे,
अमारा विना रहेजो विखूटा कदी ना केमे,