Atmadharma magazine - Ank 273a
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: प्र. श्रावण : २४९२ आत्मधर्म : ३७ :
गया अंकना प्रश्नोना जवाब
(१) नवतत्त्वोमांथी शुद्धजीव, अने
मोक्षतत्त्व गमे छे, तथा मोक्षना
कारणरूप संवर–निर्जरा तत्त्व गमे
छे. बीजा तत्त्वो संसारनुं कारण
होवाथी गमतां नथी.
(२) सौराष्ट्रमांथी बावीसमा नेमिनाथ
तीर्थंकर गीरनार पर्वत उपरथी
मोक्ष पधार्या छे.
1. शरीरमां ज्ञान न होय, ज्ञान तो
आत्मामां होय.
2. जीवनुं लक्षण शरीर नथी, जीवनुं
लक्षण तो ज्ञान छे. (शरीर तो जड
छे.)
3. शरीरने सुख–दुःख थतुं नथी;
सुख के दुःख आत्माने थाय छे.
कोयडानो जवाब
तीर्थंकरदेव–अरिहंतभगवान: तेओ
आकाशमां चाले छे, समवसरणनो अपार
वैभव छे, पण तेमने वस्त्र होतां नथी;
दुनियाना राजा छे पण मुगट पहेरता
नथी, तेओ बोले छे पण मोढुं खोलता
नथी, तेमना होठ चालता नथी पण
आखा शरीरेथी दिव्यध्वनि नीकळे छे. अने
तेओ आपणा भगवान होवाथी आपणने
बहु ज गमे छे.
नवा प्रश्नो
1. सिद्धभगवाननुं साथीदार.........तत्त्व छे.
2. मुनिराजनुं साथीदार.........तत्त्व छे.
3. नारकीनुं साथीदार.........तत्त्व छे.
4. स्वर्गना देवनुं साथीदार.........तत्त्व छे.
(२) आपणा २४ तीर्थंकरोमांथी सौथी
वधु तीर्थंकरो क््यांथी मोक्ष पाम्या?
(३) कोई पण पांच आचार्य–मुनिराजनां
आ अंकनो कोयडो
पांच अक्षरनी एक वस्तु छे,
जगतमां सौथी उत्तम छे,
आपणा भगवाननुं ए लक्षण छे,
आपणने बहुज गमे छे;
ते अरिहंत पासे छे ने सिद्ध पासे य छे;
पण बीजा कोई पासे नथी.
पहेला त्रण अक्षरनो अर्थ ‘फक्त’ थाय छे.
बीजो अने पांचमो अक्षर ‘वन’ मां छे.
चोथा अने पांचमा अक्षरमां ज्ञान भर्युं छे,
पांचमो अने त्रीजो अक्षर भेगा करीए तो
ते आपणने पाणी आपे छे.
एनी ओळखाण करतां समकित थाय छे.
–ए वस्तु कंई?
[जवाबो ता. १० पहेलां लखी मोकलो.]
सरनामुं:– संपादक आत्मधर्म, सोनगढ (सौराष्ट्र)