ATMADHARM Regd No. 182
उपादेय परंपरा आत्मधर्म–विकास तथा बालविभाग माटे आवेल
रकमोनी साभार नोंध
प) सरोजबेन अमृतलाल फतेपुर
९) अक्षय वृजलाल मोदी मुंबई
१४) चेतन वृजलाल मोदी ”
१०१) चंदनबेन केशवलाल दहेगांव
२प) प्रेमचंद पानाचंद शाह घाटकोपर
प१) अनुपचंद मूळजी खारा रांची
२प) मणीबेन उजमशी वढवाण
११) निरंजनकुमार नवनीतलाल सोनगढ
१०१) सायला (मारवाड) दि जैन मुमुक्षु मंडळ
११) विमळाबेन रीखवदास मुंबई
२६) गुजरातना मुमुक्षु भाईओ तरफथी
प) शैलेशकुमार भोगीलाल फतेपुर
प) सरोजबेन ताराचंद उजेडीया
२प) वसंतलाल वृजलाल गांधी मुलुंड
२प) हिंमतलाल हरखचंद मोरबी
भा द्र मा स ना मं ग ल दि व सो
सुद प थी १४ दसलक्षणी पर्युषण पर्व (शाश्वतपर्व)
सुद ६ सुपार्श्वनाथ गर्भकल्याणक (बनारस–काशीनगरी)
सुद ८ पुष्पदन्त–मोक्षकल्याणक (सम्मेदशिखर)
सुद १४ वासुपूज्य–मोक्षकल्याणक (सम्मेदशिखर)
वद १ उत्तम क्षमावणी पर्व
वद २ नेमिनाथ–केवळज्ञान (मिथिलानगरी)
आसो शुद १ नेमिनाथ–केवळज्ञान (गिरनार–सहस्रआम्रवन)
दसलक्षणना दिवसोमां रात्रिभोजननो त्याग करो.
कायम माटे रात्रिभोजन छोडवानो संकल्प करो.
जैनोना घरघरमांथी रात्रिभोजनने तिलांजलि आपवानी
आ झुंबेशमां जोडाईने तेने वेगवंती बनावो.
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