Atmadharma magazine - Ank 278
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. G. 182
छहढाळाना प्रवचन उपरथी आ चित्र तैयार
कर्युं छे; झीणवटथी जोशो तो तेनो भाव ख्यालमां आवी
जशे. अने नहितर आवता अंक सुधी राह जुओ–
आथी अमो जाहेर करीए छीए के नीचे
आपेली विगतो अमारी जाण अने मान्यता मुजब
बराबर छे.
मासिक–पत्रनुं नाम : आत्मधर्म.
भाषा :
गुजराती
प्रकाशकनुं नाम : श्री जगजीवन बावचंद दोशी
श्री दि. जैन स्वा. मं. ट्रस्ट वती
राष्ट्रीयता : भारतीय
सरनामुं : सोनगढ (सौराष्ट्र)
मुद्रकनुं नाम : मगनलाल गिरधारीलाल जैन.
राष्ट्रीयता : भारतीय.
सरनामुं : पालीताणा रोड, सोनगढ.
मुद्रणालयनुं नाम : अजित मुद्रणालय, सोनगढ
(सौराष्ट्र)
प्रकाशन समय : दर मासनी २० मी तारीख
लि. जगजीवन बावचंद दोशी
तंत्री
आत्मधर्म भेटपुस्तक:– आत्मधर्मना चालु
वर्षना ग्राहकोने सुरतना भाईश्री फावाभाईना स्मरण
निमित्ते “श्रावकधर्मप्रकाश” भेटपुस्तक तरीके आपवानुं
नक्की थयुं छे. पुस्तको तैयार थई रह्या छे. ज्यां मुमुक्षु
मंडळ छे त्यां मुमुक्षु मंडळ मारफत भेटपुस्तको
मोकलाशे, बीजे पोस्टथी मोकलाशे; पुस्तको तैयार थये
तेनी सूचना छपाशे, भेटपुस्तक मेळववा वेलासर
ग्राहक थई जवुं जरूरी छे.
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय: सोनगढ (सौराष्ट्र)