Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: २८ : आत्मधर्म : फागण : २४९३
मंगलपुरामां जिनेन्द्रदेवनां दर्शन कर्या ने भावस्वागत थयुं. मंगलपुरामां वछराजजी
शेठनो विशाळ आश्रम छे. त्यारबाद नगरीमां प्रवेशीने सुखदेव आश्रममां अनेक
जिनबिंबोना दर्शन करतां खूब आनंद थयो. वीस लाख रूा. ना खर्चे थयेल शेठ
वछराजजी अने तेमना भाईओए बंधावेल आ मनोरम्य विशाळ रचनामां प्रवेशतां
वेंत ज चोकमां ऊभेला ध्यानस्थ बाहुबली भगवान सौनुं ध्यान खेंचे छे ने अद्भुत
जीवनआदर्श देखाडीने मुमुक्षुने तृप्त करे छे. पछी मानस्तंभ ओळंगीने मंदिरजीमां
प्रवेशतां ज सुवर्णप्रतिमा जेवी एक भव्य प्रतिमा आपणी आंखद्वारा झडपथी हृदयमां
प्रवेशी जाय छे–ए छे भगवान आदिनाथ! हर्षथी आदिनाथप्रभुना दर्शन करीने जराक
आसपासमां नजर करतां ज एकबाजु भगवान भरतेश्वर ने बीजी बाजु भगवान
बाहुबलीना विशाळ प्रतिमाजीना दर्शन थाय छे.–आम गुरुदेव साथे पिता–पुत्रोनी
त्रिपुटीनां दर्शन करतां पू. बेनश्रीबेन वगेरे सौने घणो आनंद थयो. घणा आनंदथी
दर्शन–पूजन कर्या. गुरुदेवनो उतारो पण आ आश्रममां ज हतो. गुरुदेव लाडनु
पधारवाथी श्री वछराजजी शेठने तेमज मनफूलादेवीने घणो हर्षोल्लास थयो, ने तेओ
खूब लागणीवश बनी गया हता. गुरुदेवे सिद्धोनी स्थापनानुं सुंदर मंगलाचरण
संभळाव्युं, मंगलाचरण बाद भव्य जिनमंदिरमां पू. बेनश्री–बेने आदिनाथ भगवाननुं
समूहपूजन भावपूर्वक कराव्युं. भक्तोए बाहुबलिप्रभुनो मस्तकाभिषेक पण कर्यो.
गुरुदेव साथे बडा मंदिरजीमां तथा बीजा मंदिरोमां दर्शन करतां आनंद थयो. बडा
मंदिरमां प्राचीन प्रतिमाओ तेमज कारीगरीवाळुं तोरणद्वार खास दर्शनीय छे. आ
तोरण अनुसार ज बीजुं तोरण आरसनुं लगभग वीस हजार रूा. ना खर्चे करावेलुं छे.
अहीं २७ वखत तो पंचकल्याणक–महोत्सव थया छे–ए आ नगरीनुं एक गौरव छे.
अने सुखदेव आश्रमनी विशाळता, शांत वातावरण अने भव्यजिनबिंबोना दर्शन–ते
आ नगरीना गौरवमां ओर वधारो करे छे. वारंवार जिनेन्द्रभगवंतोना दर्शन करतां
दिल तृप्त थतुं हतुं. बपोरे प्रवचनमां पण हजार उपरांत माणसो आव्या हता. प्रवचन
पछी तेमज रात्रे जिनमंदिरमां भक्ति थई हती. रात्रे सेंकडो वीजळी प्रकाशना
झगझगाट वच्चे जिनमंदिरनी ने बाहुबलीभगवाननी शोभामां ओर वृद्धि थाय छे.
बीजे दिवसे जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा सहितनुं भव्य स्वागतसरघस आखी नगरीमां फर्युं
हतुं. बपोरे प्रवचन पछी लाडनु–जैनसमाज तरफथी गुरुदेवने अभिनंदनपत्र अपायुं
हतुं. अने बडामंदिरजीमां भक्ति थई हती; रात्रे पण भक्ति थई हती. बे दिवसना