Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 40 of 53

background image
: फागण : २४९३ आत्मधर्म : ३७ :
ईन्द्रप्रतिष्ठामां आठ ईन्द्रोनी स्थापना थई, अने आचार्यअनुज्ञा तरीके गुरुदेवना
आशीर्वाद प्राप्त कर्या. प्रवचन पछी टोडरमलनगर (कीर्तिमंडप) थी ईन्द्रोनुं भव्य
जुलुस नीकळ्‌युं. पांच हाथी सहित ईन्द्रोनुं सरघस तेम ज साथे साथे जलयात्रानुं
सरघस देखीने सौने घणो उल्लास थयो. केमके छ दिवसथी जयपुर आव्या छतां ने
उत्सव चालतो होवा छतां शहेरनी परिस्थिति घणी तंग होवाथी, करफयुने कारणे जाहेर
रस्ता पर कोई विशेष कार्यक्रम हजी सुधी बनी शक््यो न हतो, न तो शहेरना माणसो
उत्सवमां आवी शकता हता, के न महेमानो शहेरमां हरीफरी शकता हता, सुमसाम
रस्ताओ उपर पोलीसो सिवाय बीजुं माणस भाग्ये ज देखातुं, –एवी परिस्थिति वच्चे
आजे पांच हाथीना ठाठमाठ ने हजारो माणसोना हर्षनाद पूर्वक भव्य जुलुस नीकळ्‌युं–
तेथी घणो आनंद थयो...ने जयपुर नगरी जाणे जागृत बनी. शरूमां चोसठ ऋद्धिमंडल
विधानपूजा थई, ते आजे अभिषेकपूर्वक पूर्ण थई.
उत्सवमां भाग लेवा बहारगामथी हजारो माणसो आव्या हता. पंदर हजार
माणसोनो समावेश थई शके एवडो विशाळ मंडप ऊभो करवामां आव्यो हतो.
बाजुमां टोडरमलनगर हतुं–जेमां महेमानोने रहेवा माटे अढीसो जेटला तंबु खडा
करवामां आव्या हता...तेमां पाणी–प्रकाशनी सुंदर सगवड हती; भोजनव्यवस्था पण
त्यां ज हती. जाणे गुरुदेवना प्रतापे रेतीना रण वच्चे दैवी नगरी रचाई गई
हती...गुरुदेव प्रवचनमां समयसार–कर्ताकर्म अधिकार तथा ऋषभजिनस्तोत्र वांचता
हता. सांजे भक्ति तथा रात्रे विद्वानोना भाषण के पंचकल्याणकनी फिल्मनुं प्रदर्शन थतुं
हतुं.
ता. १२ (फा. सुद एकम) : आज बपोरे यागमंडलविधानपूजन थयुं; तथा
प्रवचन आदर्शनगरमां थयुं हतुं. आदर्शनगर ए जयपुरनुं एक सुंदर परुं छे; भारत–
पाकिस्तानना भागला वखते मुलतान छोडीने अहीं आवेला घणा मुलतानी साधर्मी
भाईओ अहीं वसे छे; ने तेमणे एक भव्य जिनालय बंधाव्युं छे. जिनालय माटेनी
जमीन (जेनी किंमत अत्यारे बे–त्रण लाख रूा. जेटली थाय ते) राज्य तरफथी भेट
आपवामां आवी हती. जिनालयनी वेदीमां मुलतानथी आवेला सो जेटला जिनप्रतिमा
बिराजे छे. ज्यारे मुलतान छोडीने जयपुर तरफ आववुं पड्युं त्यारे साधर्मी भक्तोने
एम थयुं के बीजो सामान तो भले साथे आवे के न आवे, पण भगवानने केम
भूलाय? एटले सो जेटला जिनप्रतिमाओ तथा सेंकडो हस्त–