Atmadharma magazine - Ank 287
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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“आत्मधर्म” Regd. No. G. 182
श्रावकधर्मप्रकाश
श्रावकनुं कर्तव्य समजवा माटे सर्वे जिज्ञासुओने उपयोगी सुंदर पुस्तक
अत्यंत सुगम शैली: पचीस जेटला चित्रो........मूल्य: बे रूपिया
श्री दिगंबर जेन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय: सोनगढ (प्रत: २३००)