Atmadharma magazine - Ank 289
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page  


PDF/HTML Page 45 of 45

background image
“आत्मधर्म” Regd. No. G. 182
–––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––
आफ्रिकामां श्रीमद् राजचंद्रनी स्मृति
पू. गुरुदेवना प्रतापे भारतना आध्यात्मिक
सन्तोनो महिमा परदेशमां पण पहोंची रह्यो छे.
आफ्रिकामां मोम्बासामां भगवानजीभाईए जे
स्मृतिगृह बंधावेल छे तेनी एक साईडनुं चित्र अहीं
आप्युं छे. मोम्बासानुं आफ्रिका समाचार नामनुं एक
गुजराती दैनिक जेनी पचीस हजार जेटली नकल प्रसिद्ध
थाय छे तेमां लगभग पांच कोलम भरीने (ता. ३–२–
६७ना अंकमां) श्रीमद् राजचंद्रनो जीवनपरिचय छपायो
हतो. तेमज २४–३–६७ना अंकमां चारेक कोलम भरीने
पू. श्री कानजी स्वामीनो जीवनपरिचय आपवामां
आव्यो हतो. सोनगढथी दर वर्षे हजारो रूा. नुं आध्यात्मिक साहित्य आफ्रिका जाय छे, ने त्यांना
जिज्ञासुओ उत्साहथी वांचे छे.
* * * *
आत्मस्वभावनो अद्भुत महिमा समजावतुं पुस्तक...........
पू. गुरुदेवनी भावभीनी प्रेरणा झीलीने तैयार थयेल...........
आ वर्षनुं एक महत्वपूर्ण प्रकाशन...........
मोटा टाईपमां सुंदर आकर्षक प्रिन्टींग...........
दरेक जिज्ञासुने आत्मिक उल्लास जगाडनारुं...........
लगभग चारसो पानां छपाई गया छे...........
–––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––