Atmadharma magazine - Ank 293
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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रजतजयंतिनुं वष्ार्
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सं. १९९७ना फागण सुद बीजनो ए धन्यदिवस
छे के ज्यारे भरतक्षेत्रना साधकभक्तोनी विनतिथी
विदेहक्षेत्रना वहाला सीमंधरनाथ सुवर्णपुरीमां
पधार्या...ने महा उपकार छे ए सन्तोनो–के
जेमना प्रतापे आवा कळिकाळमांय भगवान भेट्या.
तंत्री : जगजीवन बावचंद दोशी * संपादक : ब्र. हरिलाल जैन
वीर सं. २४९४ फागण (लवाजम : चार रूपिया) वर्ष २प : अंक