परिस्थिति आवे त्यारे हे जीव! आपणा महावीरप्रभु जेवा
वीतरागी देव–गुरु–संतोने खूब भावथी याद करीने एम
विचारजे के महावीरे शुं कर्युं? –हुं पण ए ज करुं के मारा देव–
गुरुए जे कर्युं. वीतरागभाव वडे पोताना आत्माने लाभ
थाय ए ज करवानुं छे; ए ज महावीरनो बोध छे.
मार्गे जाउं नहि. मारा हित माटे एवो बहादुर वीर बनुं के
जगतनी कोई परिस्थिति मने डगावी न शके, ने हुं मारा देव–
गुरु जेवो बनी जउं. वीर थईने महावीरना मार्गे जाउं.