Atmadharma magazine - Ank 294
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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४० : आत्मधर्म : चैत्र २४९४
छेल्ला पूंठा उपरना चार चित्रोनो परचय
(१) भारतदेशनी उत्तम अध्यात्मनगरी सोनगढनुं आ रळियामणुं द्रश्य छे. तेमां
जिनमंदिर, मानस्तंभ, समवसरण, स्वाध्यायमंदिर, प्रवचनमंडप, ब्रह्मचर्याश्रम वगेरे
नजरे पडे छे.
(२) सं.२०१३ नी यात्रा वखते कलकत्ताथी खंडगिरि–उदयगिरि तरफ विमान
द्वारा जता हता त्यारे ते आकाशगामिनी यात्रानी यादीरूपे विमानमां बेठा बेठा गुरुदेवे
लखी आपेला आ हस्ताक्षर छे.
(३) आ मंदिर बीजे कयांयनुं नहि पण आपणा सुप्रसिद्ध तीर्थधाम सोनगढनुं छे.
तेमां बिराजे छे–सीमंधर भगवान, शांतिनाथ भगवान, पद्मप्रभु भगवान, नेमिनाथ
भगवान, महावीरभगवान अने पार्श्वनाथ भगवान. आ मंदिर बंधायुं सं. १९९६मां,
अने प्रतिष्ठा थई सं. १९९७ मां.
२७ वर्षमां तो मंदिर घणुं मोटुं थई गयुं! २७ वर्षमां तो एनी ऊंचाईमां ३७ फूट
जेटलो वधारो थयो...जो के भगवान तो एवडा ने एवडा ज रह्या....मंदिरनी ऊंचाई
पहेलां ४१ फूट जेटली हती. –जे वधीने अत्यारे लगभग ७८ फूट जेटली छे. सेंकडो
भक्तोए तनतोड महेनत करीने हाथोहाथ आ भव्य मंदिरना पाया अने छत भरेल, –ए
प्रसंग आजेय याद आवे छे. अरे सौ भक्तो छत भरवा रोकायेला होवाथी बे दिवस तो
प्रवचन पण बंध रहेल. –आ उपरथी जिनमंदिरना महान कार्यमां भक्तोना उल्लासनो
ख्याल आवशे. (तेना वर्णन माटे जुओ, आत्मधर्म अंक–१प४ के १पप)
(४) आजे दोडती मोटर अने ऊडता एरोप्लेनना झडपी प्रवासना जमानामां
गाडाना धीरजभर्या प्रवासनो ख्याल आववो मुश्केल छे. आपणा बालसभ्योमांथी घणाय
सभ्यो तो एवा हशे के जेओ कदी गाडामां बेठा नहि होय, अरे! बेसवानुं तो ठीक पण
कदाच मुंबई जेवा शहेरमां एवाय सभ्यो हशे के जेमणे गाडुं जोयुं पण नहि होय!
मुंबईना केटलाक बाल सभ्यो ज्यारे सोनगढ आवे छे त्यारे घेटां–बकरां ए तेमने
आश्चर्यनी वस्तु लागे छे! एवुं ज आ गाडानुं कदाच लागशे. पण आ कांई १००–२००
वर्ष पहेलांनुं द्रश्य नथी; आ तो मात्र १प वर्ष वर्ष पहेलांनुं एक द्रश्य छे. गाडुं कुंडलपुरीथी
गुणावा तरफ जई रह्युं छे, ने तेमां यात्रिको बेठा छे. कोण छे ए यात्रिक खबर छे? ए तो
छे पू. बेनश्री, पू. बेन वगेरे. अत्यारना जेवो मोटर–बस व्यवहार ते वखते न हतो...