
नजरे पडे छे.
लखी आपेला आ हस्ताक्षर छे.
भगवान, महावीरभगवान अने पार्श्वनाथ भगवान. आ मंदिर बंधायुं सं. १९९६मां,
अने प्रतिष्ठा थई सं. १९९७ मां.
पहेलां ४१ फूट जेटली हती. –जे वधीने अत्यारे लगभग ७८ फूट जेटली छे. सेंकडो
भक्तोए तनतोड महेनत करीने हाथोहाथ आ भव्य मंदिरना पाया अने छत भरेल, –ए
प्रसंग आजेय याद आवे छे. अरे सौ भक्तो छत भरवा रोकायेला होवाथी बे दिवस तो
प्रवचन पण बंध रहेल. –आ उपरथी जिनमंदिरना महान कार्यमां भक्तोना उल्लासनो
ख्याल आवशे. (तेना वर्णन माटे जुओ, आत्मधर्म अंक–१प४ के १पप)
सभ्यो तो एवा हशे के जेओ कदी गाडामां बेठा नहि होय, अरे! बेसवानुं तो ठीक पण
कदाच मुंबई जेवा शहेरमां एवाय सभ्यो हशे के जेमणे गाडुं जोयुं पण नहि होय!
मुंबईना केटलाक बाल सभ्यो ज्यारे सोनगढ आवे छे त्यारे घेटां–बकरां ए तेमने
आश्चर्यनी वस्तु लागे छे! एवुं ज आ गाडानुं कदाच लागशे. पण आ कांई १००–२००
वर्ष पहेलांनुं द्रश्य नथी; आ तो मात्र १प वर्ष वर्ष पहेलांनुं एक द्रश्य छे. गाडुं कुंडलपुरीथी
गुणावा तरफ जई रह्युं छे, ने तेमां यात्रिको बेठा छे. कोण छे ए यात्रिक खबर छे? ए तो
छे पू. बेनश्री, पू. बेन वगेरे. अत्यारना जेवो मोटर–बस व्यवहार ते वखते न हतो...