ए ज सुख छे.
मारुं सुख बहारमां नथी, तो बहारमां मने केम
गोठे?
मने क्यांय न गमे पण आत्मामां गमे.
एक आत्मामां उपयोग जोडीने रहेवुं ते एकत्व–
जीवन छे.
एकत्व–जीवन ए शांत जीवन छे ए सुखी जीवन छे.
चित्तमां आत्माथी बीजा भावोनुं घोलन थतां
एकत्वमां भंग पडे छे, एटले सुखमां भंग पडे छे.
जेमां दुःख लागे एनाथी जीव भागे.
जेमां खरेखर गमे. तेमां जरूर उपयोग जोडे.
विभावोमां जो खरेखर दुःख लागे तो तेनाथी पाछो
फरीने निजस्वरूपमां आवी ज जाय.
निजस्वरूप जो खरेखर गमतुं होय तो उपयोगने
अंतर्मुख करीने तेने जाणे ज.
जो स्वमां एकता न करे ने परथी भिन्नता न जाणे
तो तेने स्व परनुं भेदज्ञान थयुं ज नथी.
ज्यां भेदज्ञान छे त्यां निजानंदनी अनुभूति छे.