Atmadharma magazine - Ank 298
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : र४९४ आत्मधर्म : ३५ :
साचा–खोटानी परीक्षा करो
बंधीओ, बालविभागना अभ्यासथी हवे तमने साचा–खोटानी परीक्षा करतां आवडी
गई हशे. अहीं नीचे दश जोडका वाक्यो आप्यां छे, ते दरेकमां एक खोटुं छुं ने एक साचुं छे. तो
साचुं कयुं? ते तमारे ओळखी काढवानुं छे. धीरजपूर्वक विचार करीने, जे खोटुं होय तेना उपर
हळवेथी चोकडी मारी देजो–जेथी कागळ फाटी न जाय.
१ ईश्वरे जीवने बनाव्यो छे. जीव पोते ईश्वर बने छे.
२ शुभरागथी मोक्ष मळे छे. शुभरागथी संसार मळे छे.
३ अरूपी वस्तुने जाणी शकाय नहि. अरूपी वस्तुने पण ज्ञान जाणे छे.
४ आत्माने ज्ञानथी ओळखी शकाय छे. आत्माने कोई ओळखी शके नहि.
प जगतमां कोई ईश्वर नथी. जगतमां सर्वज्ञ ईश्वर अनंता छे.
६ ईश्वर जगतना कर्ता छे. ईश्वर जगतना ज्ञाता छे.
७ शुभराग करीए तो धर्म थाय. वीतरागता वडे धर्म थाय.
८ अरिहंत भगवंतो खाता नथी. अरिहंतभगवंतो खाय छे.
९ आत्मा खोराकथी जीवे छे. आत्म खोराक वगर जीवे छे.
१० देह ने आत्मा जुदा छे. देहनी क्रिया आत्मा करतो नथी.
(तमारा जवाबो साचा छे के खोटा? ते जाणवा माटे आवतो अंक जुओ.)
हुं कोण छुं?
आबालवृद्धने हुं प्यारुं छुं,
देश–परदेशमां फरुं छुं,
धर्मनो प्रचार करुं छुं,
तमारा हाथमां शोभुं छुं,
–कहोजी तमे हुं कोण छुं?
(पहेला अढी अक्षर बधा पासे छे.
छेल्ला अढी अक्षर मोक्ष आपे छे.)
(कोयडो मोकलनार : हरीश जैन,
जामनगर)
आपणी बहेन
आपणा धर्मनी एक उत्तम बहेन शोधी काढो.
जे महावीर भगवानना सगा थाय छे.
जेनुं पांच अक्षरनुं नाम छे.
जेना पहेला बे अक्षर प्रकाश आपे छे.
जेना पहेला त्रण अक्षर सुगंध आपे छे.
चोथो एकलो अक्षर बधाने बहु गमे छे.
घणा दुःख वच्चे पण एणे धर्मनी आराधना करी छे.
दरेक बेनोने एना जेवा थवुं गमे छे.
ओळखो छो ए बहेनने?