Atmadharma magazine - Ank 299
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं : ३४ ‘‘आत्मधर्म” Regd. No. G. 182
महावीरप्रभुनां सौ सन्तान छे तैयार......तैयार.......
बालविभागना सभ्य एटले वीरप्रभुना सन्तान, वीरप्रभुना
सन्तानो केवा केवा उत्तम कार्यो करवा माटे तैयार होय ते आ
कूचगीतमां बताव्युं छे. दरेक बाळकने उत्साह प्रेरे एवुं आ
बालसभ्योनुं कूचगीत सौने गमशे; रथयात्रा, प्रभातफेरी वगेरे प्रसंगे
आ गीत गाई शकाय. आ गीतना प्रेरक छे. ब्र. विद्याबेन जैन
(मोरबी)–जेओ संस्कारी बालशिक्षणना खूबज हिमायती छे.
(जैनबाळकोनुं कूचगीत)
महावीर प्रभुनां सौ सन्तान.... छे तैयार छे तैयार.
जिनशासननी सेवा करवा छे तैयार छे तैयार.
सिद्ध पदनुं स्वराज लेवा छे तैयार छे तैयार.
अरिहंत प्रभुनी सेवा करवा, छे तैयार छे तैयार.
ज्ञानी गुरुनी सेवा करवा, छे तैयार छे तैयार.
तीर्थधामनी यात्रा करवा छे तैयार छे तैयार.
जैनधरमनां शास्त्रो भणवा छे तैयार छे तैयार.
शासन माटे जीवन देवा.... छे तैयार छे तैयार.
सम्यग्दर्शन प्राप्त करवा छे तैयार छे तैयार.
सम्यग्ज्ञाननी ज्योत जगावा.. छे तैयार छे तैयार.
साधुदशानुं सेवन करवा छे तैयार छे तैयार.
मोहशत्रुने जीती लेवा.... छे तैयार छे तैयार.
वीतरागी निर्मोही थावा... छे तैयार छे तैयार.
आतम ध्याननी धून मचावा... छे तैयार छे तैयार.
ज्ञायकनो पुरुषार्थ करवा.... छे तैयार छे तैयार.
वीरना मार्गे दोडी जावा.... छे तैयार छे तैयार.
मोक्षना दरवाजा खोलवा... छे तैयार छे तैयार.
संसारसागर पार उतरवा छे तैयार छे तैयार.
सिद्धप्रभुनी साथे रहेवा छे तैयार छे तैयार.
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक : मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय : सोनगढ (प्रत : २प००)