Atmadharma magazine - Ank 318
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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भगवान महावीर
[संपादकीय] [ब्र. ह. जैन]
आपणे सौ महावीरनां सन्तान! महावीरना वारस! केटली मोटी गौरवनी
वात! ए प्रभुजीने मोक्ष पधार्याने २४९६ वर्ष वीत्यां, ने चार वर्ष बाद अढीहजार वर्ष
थशे...छतां वीरप्रभुजी एमना वीतरागी उपदेश द्वारा जाणे आजे पण आपणी समक्ष
ज बिराजमान होय,–एवुं तेमनुं शासन वर्ती रह्युं छे. अहा, आपणे वीतरागी
वीरजिनना शासनमां आव्या...वीर प्रभुना मुक्ति मार्गे जनारा जे रत्नत्रयधारी सन्तो
तेमना पादविहारी आपणे बन्या...एमना अनुयायी बन्या, एमनी शिष्य–परंपरामां
जोडाया.
वीतरागी वीरप्रभु जेवा महान छे, तेमना शिष्य थनारनी जवाबदारी पण
एटली ज महान छे. वीतरागना शिष्यने रागनो आदर करवो–ते केम पालवे? रागथी
पार थईने आत्मामां चैतन्यभाव प्रगट करवो ते अपूर्व वीरता छे, ने ते ज वीरनो
मार्ग छे. प्रभु महावीरना आवा मार्गनी उपासना करवानी रीत पू. श्री कहानगुरु
आपणने शीखडावी रह्या छे. ए मार्गनी उपासना वडे ज प्रभु महावीरनी साची
ओळखाण थाय छे.
भगवान महावीरना आपणे सौ अनुयायीओ आ ध्येयने लक्षमां राखीए, ने
ध्येयनी सिद्धिमां परस्परने पुष्टि मळे एवुं उत्तम वातावरण सर्जीए. बधी झंझटोने
छोडीने, नानामां नाना विखवादोने पण एककोर मुकीने वीतराग–मार्गने ज प्रसिद्ध
करीए, ने तेनी ज उपासनामां आत्मानी सर्वशक्ति लगावीए–आ रीते जैनशासनने
ऊज्वळ बनावीए ते ज भगवान महावीरनो साचो महोत्सव छे; केमके भगवाने
पोताना जीवनमां एम कर्युं, आजे वीर प्रभुनो जन्मोत्सव उजवतां ए पवित्र
आत्मानी वीतरागी वीरताने याद करीने द्रढ संकल्प करीए के अमे कायर नहीं बनीए,
कायर थईने रागमां नहीं पड्या रहीए, धर्ममां आळसु नहीं बनीए; पण वीरना
सन्तानने शोभे एवी वीतरागी वीरताना उद्यमथी आत्माने साधशुं...वीरना पगले
जाशुं...ने सादिअनंत सिद्धालयमां वीरप्रभु साथे रहीशुं.
जय महावीर!
वैशाख सुद बीज संबंधी निबंधयोजनामां अनेक लेखो
आवेला छे, ते संबंधी यादी आवता अंकमां आपीशुं. विद्यार्थीओ. हवे
परीक्षाओ पूरी थई हशे, माटे निबंधनी योजनामां जरूर भाग लेशो.