Atmadharma magazine - Ank 318
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं. : ३४ “आत्म धर्म” Regd. No. G. 182
साची बुद्धि ते ज के जे चैतन्यनो बोध करे
पोतानो भूतार्थस्वभाव ज जीवने शरणभूत छे, तेना ज शरणे शांति एटले के
सम्यग्दर्शनादि थाय छे.
आत्मानी बुद्धि तेने कहेवाय के जे अंतर्मुख थईने रागादि भावोथी आत्माने
भिन्न करे. शुद्धनयवडे आवो बोध करवो ते ज साची बुद्धि छे, रागनी बुद्धि ते साची
बुद्धि नथी.
सदाय टकतो एवो जे पोतानो शुद्ध चैतन्यस्वभाव ते भूतार्थ छे, बीजा बधा
भावो अभूतार्थ छे, अशरण छे.
सिद्ध भगवाननां द्रव्य–गुण–पर्याय त्रणेनुं अस्तित्व छे, पण ते त्रणे शुद्ध छे,
स्वभावथी परिपूर्ण छे. सिद्धने कांई पर्याय नीकळी नथी गई, तेमने द्रव्य–गुण–पर्याय
त्रणे छे.
सोनगढमां जैनदर्शन शिक्षण वर्ग
उनाळानी रजाओ दरमियान सोनगढमां दर वर्षे जैन विद्यार्थीओ माटे धार्मिक
शिक्षणनो वर्ग चाले छे, सेंकडो विद्यार्थीओ तेनो लाभ लईने पोताना जीवनमां धार्मिक
ज्ञाननुं सिंचन करे छे. बालवयथी थयेलुं आ धार्मिक संस्कारोनुं सिंचन जीवनभर
उपयोगी थाय छे. आ वर्षे पण पू. गुरुदेव सोनगढ पधार्या पछी बीजे दिवसे एटले के
ता. १०–प–७० रविवार वैशाख सुद पांचमथी शिक्षणवर्ग शरू थशे, ने वैशाख वद ९
शुक्रवार ता. २९–प–७० सुधी चालशे. दाखल थनार भाईओ माटे भोजन अने
पुस्तकोनी व्यवस्था संस्था तरफथी थाय छे. वर्गना धार्मिक शिक्षण उपरांत पू. श्री
कानजीस्वामीनां आत्मस्वरूप समजावनारां उत्तम अध्यात्म–प्रवचनोनो पण लाभ मळे
छे. विद्यार्थी भाईओ जीवनमां उत्तम संस्कार रेडवा माटे आ शिक्षण वर्गनो लाभ ल्यो.
शिक्षण वर्गमां दाखल थवा माटे नीचेना सरनामे लखवुं अने समयसर सोनगढ आवी
जवुं. उत्तम शिक्षण वर्गमां मोक्षमार्ग प्रकाशक तथा जैन सिद्धांत प्रश्नोत्तरमाळा चालशे,
माटे जेमनी पासे ते पुस्तको होय ते लेतां आववां.
दरेक विद्यार्थीए पोतानुं बेडींग तथा पोतानी जरूरियातनी चीजो अवश्य साथे
लाववा सूचना छे.
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक: मगनलाल जैन अजित मुद्रणालय: सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत: २७००