द्वारा आपणुं सौनुं परस्पर मिलन तथा विचारोनी आप–ले थाय छे. आ
विभागद्वारा आपना विचारो जणाववा, तत्त्वने लगता शंका समाधान करवा,
कोई नवीन समाचारो मोकलवा, तेम ज कोई उत्तम रचनाओ मोकलवा, अने
आ रीते आ विभागमां सहकार आपवा सर्वे वांचकोने सादर आमंत्रण छे. आ
विभागने वधु ने वधु समुद्ध बनाववो ते उत्साही वांचकोनुं काम छे.
पूर्वभवोनुं वर्णन वांचीने घणो आनंद थयो. पाठशाळाना बाळको पासे ते
वांचतां बधा बाळको पण खूब खुशी थया हता. आवी कथाओ द्वारा बाळकोमां
उत्तम संस्कार पडे छे. (पारसनाथ प्रभुना जीवनचरित्र संबंधी प्रसन्नता व्यक्त
करता बीजा पण अनेक पत्रो आव्या छे.)
संबंधी संवाद (जैन बाळपोथीमांथी सो राजकुमारोनी वार्ताना आधारे) कर्यो
हतो; युवानोनो उत्साह देखीने सौ खुशी थया हता.
छीए के क्यारे नवो मास बेसे ने प्रिय वांचन मळे! एवो आनंद थाय छे के
खरेखर बीजी कोई चीज जीवनमां एवो आनंद आपती नथी. मुखपृष्ठ खूब ज
गमे छे. घरमां दरेक व्यक्तिने समजवुं बहु सुलभ अने सरळ पडे छे.....अने
खरेखर खूब गमे छे.–धन्यवाद!
एटले के अमासनो दिवस ऊग्या पहेलां निर्वाण पाम्या छे. अने ते मुजब
पावापुरीमां निर्वाणकल्याणक दर वर्षे उजवाय छे. (श्वेतांबरसमाज एक दिवस
मोडा एटले के अमासनी राते ने एकमनी सवारे निर्वाण माने छे.)
धर्मसंस्कारनुं सिंचन करीने बाळकोमां सद्धर्मना संस्कार पाडे तेवुं बन्युं छे.
तेनो बहोळो प्रचार जैनधर्मने माटे बाळ–मध्यम–युवान सौने माटे