Atmadharma magazine - Ank 342a
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: प्र. वैशाख : २४९८ “आत्मधर्म” : ४३ :
* घोडनदीथी स. नं. ९१ शैलाबेन मिश्रभाषामां लखे छे के–मारा नानाभाईने पण
‘जिनवरनो संतान’ बनावशो. आत्मधर्म अने सोनगढना साहित्यनो अभ्यास
सतत चालु छे. सोनगढथी भेटपुस्तक मळतां बहुत आनंद आता है! पूज्यश्रीना
आशीषथी समकीतकी प्राप्ति होवे–आ आशीर्वाद मागुं छुं (बाळपणमां तमारी
उत्तम भावना माटे धन्यवाद!)
प्रश्न :–आत्मा क्यांथी आवे छे? ने क्यां जाय छे?
उत्तर :–आत्मस्वरूपे सदाय टकनारो आत्मा, चारगतिमां भमतां कोई पण एकगतिमांथी बीजी
गतिमां आवे छे, ने तेमां पोते करेला पुण्य–पाप अनुसार ते बीजी गतिमां जाय छे; एम
गतिओमां भ्रमण कर्यां करे छे पण ज्यारे कोईक धन्यपळे पोताना ज्ञानानंदस्वरूपने
ओळखीने, तेने पूर्णपणे साधे छे त्यारे ते सिद्ध थईने सिद्धालयमां जाय छे एटले के मोक्ष
पामे छे, पछी ते कदी संसारमां पाछो आवतो नथी. ते सिद्धभगवान थईने मोक्षरूप
परम आत्मसुखने सदाकाळ अनुभवे छे.
वैराग्यसमाचार–
* वढवाणशहेरनी दीवाळीबाई जेचंद दोशी (तेओ रतिलाल जेचंदना मातुश्री)उ. व. ८३
फागणसुद ११ ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे.
* धोराजीना श्री कुसुंबाबेन (तेओ नानालाल वल्लभदासना मातुश्री उंमर वर्ष ८०)
फागणवद चोथना रोज स्वर्गवास पाम्या छे. ताजेतरमां फागणसुद ११–१२ ना जेतपुर
मुकामे तेमणे गुरुदेवना दर्शननो लाभ लीधो हतो.
* बोटादना भाईश्री प्राणलाल मगनलाल शाह अमदावाद मुकामे ता. प–४–७२ ना रोज
छत्रीस वर्षनी युवान वये स्वर्गवास पाम्या छे. गंभीर बीमारीनुं ओपरेशन थवानुं
होवाथी, तेमणे स्वर्गवासना चार–पांच दिवस पहेलांं गुरुदेव प्रत्ये पत्र द्वारा भक्ति
व्यक्त करीने क्षमायाचना करी हती. गुरुदेव आठमी तारीखे अमदावाद पधारे त्यारे
दर्शन करवानी तेमने भावना हती पण ते पहेलांं त्रण दिवस पहेलांं तेओ स्वर्गवास
पामी गया. तेओ शिक्षक हता ने अवारनवार सोनगढ आवीने बाळकोने शिक्षण पण
आपता हता. शास्त्रअभ्यासनो पण तेमने शोख हतो.