तेने उदासीनता केवी होय!–ते बधुंय गुरुदेव आपणने सौने अवारनवार प्रतिबोधे
छे...मुमुक्षुओ आनंदथी ए शिखामण झीले छे.
खूब प्रसन्नता व्यक्त करी छे...अने गामेगाम...घरेघरे आ वात प्रचार पामे तेवी भावना
व्यक्त करी छे. आ हितशिखामण छापेलां पानां गुरुदेवे स्वहस्ते सेंकडो मुमुक्षुओने आप्या छे.
हितशिखामण अनुसार पोतानां परिणाम करनार मुमुक्षुजीव जरूर आत्महित पामशे.
एक बीजी वात : आ कळिकाळमां वीतरागदेवनो परम सत्यमार्ग क््यारेक–क््यारेक
गमे तेवी कटोकटी वच्चे पण पोताना हितने माटे सत्यमार्गने वळगी रहे छे. प्राण भले छूटे
पण सत्यमार्गने तेओ छोडता नथी. सौराष्ट्रमां सं. १९९९ दरमियान गुरुदेवना विहार वखते
आवी परिस्थिति ऊभी थयेली, ने मुमुक्षुओ सत्यमार्गने द्रढपणे वळगी रह्या; अंते ते वखतना
विरोध करनारा घणा पण पश्चाताप पूर्वक सत्य मार्गमां आव्या, तेओ आजे गुरुदेवनी
छायामां आनंदथी आत्महितना मार्गने उपासी रह्या छे, ने पोताने धन्य–धन्य समजे छे.
अचिंत्य महान चैतन्यवस्तुने साधवानी छे, जे सत्य धर्मने साधवानो छे तेनी पासे जगतनी
कोई परिस्थिति मुमुक्षुने मुंझवी शकती नथी, सत्यथी डगावी शकती नथी;
पंचपरमेष्ठीभगवंतो एना साथीदार छे.