Atmadharma magazine - Ank 344
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: ४४ : आत्मधर्म : जेठ : २४९८
हतो. अने सोनगढ आववानी भावन हती.
भाईश्री माणेकलाल छोटालाल तूरखीआ (एडनवाळा) प्र. वैशाख वद १३ ना
रोज वीले पारले (मुंबई) मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे. थोडा दिवस पहेलांं ज
संपादक उपरना पत्रमां तेओ लखे छे के परम कृपाळु गुरुदेव साथेना प्रवासनो
अणमोल लहावो आप तो लई रह्या छो अने ते प्रसंगो आत्मधर्ममां वांचीने
अमने पण तेनो लहावो मळतो रहे छे.
राजकोटना वतनी भाईश्री नवनीतलाल भगवानजी संघवी (उ व ४९) द्धारकामां
बेंक ओफ बरोडानी ब्रांचना मेनेजर हता तेओ हदयरोगनी बिमारीथी स्वर्गवास
पाम्या छे.
विंछीआनिवासी मणीबहेन हरीचंद बोटादरा (उ. वर्ष. पप) ता. १–६–७२ ना
रोज घाटकोपर मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे.
गोंडलना भाईश्री केवळचंद कानजीभाईना पारेख (उ. व. ८प) ता. २१–४–७२
ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे. निवृत्तिपूर्वक तेओ अनेक वर्ष सोनगढमां रह्या हता.
वीतरागी देव–गुरु–धर्मना शरणे स्वर्गस्थ आत्माओ पोतानुं आत्महित साधो
अने जिज्ञासु जीवो पण आवा क्षणभंगुर संसारथी परम विरकत थई अमर
आत्मस्वरूपनी अपार शांतिने शीघ्र साधो.... आ महान कार्यमां विलंब करवा जेवुं नथी.
(प्रवासमां होवाने कारणे केटलाक समाचारो प्रगट थवामां विलंब थयो छे.)
वैराग्य सन्देश
संसारनी परिस्थिति ज एवी छे के प्रियमां प्रिय मानेली
वस्तु पण, पूछयागाछया वगर आत्माने छोडीने चाली जाय छे.
एटले खरेखर तो विचारवंत जीवे एनाथी पण वधु प्रिय एवी
कोई वस्तु अंतरमां, शोधवी जोईए–के जे कदी पोताने छोडे
नहि. अहा, एवी आत्मवस्तु आपणा जैनमार्गमां तीर्थंकर
प्रभुए बतावी छे. जन्म–मरणना दुःखो वच्चे आत्मवस्तु ज
शांति देनार छे. आवी आत्मवस्तुने मुमुक्षुओ लक्षगत करो.