नीकळेलुं उत्तम रत्न छे,–ते आदरणीय छे, सर्वे तीर्थोमां ते
उत्कृष्ट तीर्थ छे, सुखोनो ते खजानो छे, मोक्षनगरीमां जवा
माटेनुं ते झडपी (रोकेट करतांय घणुं झडपी) वाहन छे;
कर्मरजना गंजने वीखेरी नांखवा माटे ते वायरो छे; भवना
वनने बाळी नांखवा माटे ते अग्नि छे. आम जाणीने हे
बुद्धिनाथ! तुं शुद्धचिद्रूप हुं’ एवा छ अक्षरवडे शुद्धचिद्रूपनुं
चिंतन कर.
ज्यारे अमे अमारा शुद्धचिद्रूपनुं स्मरण करीए छीए
नथी, चेतन के अचेतनस्वरूप बाह्यपदार्थोनो संग क््यां जाय छे
तेनी खबर पडती नथी, अने रागादिक भावो क््यां अलोप थई
जाय छे–तेनुं लक्ष रहेतुं नथी. ए वखते तो बस! अमारुं एक
शुद्धचिद्रूप ज अमने देखाय छे, बीजुं कांई नहि.