Atmadharma magazine - Ank 348
(Year 29 - Vir Nirvana Samvat 2498, A.D. 1972)
(Devanagari transliteration).

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: आसो: २४९८ आत्मधर्म : ४५ :
* त्रण भगवन *
गतांकमां जे त्रण भगवान शोधवानो प्रश्न पूछेल, तेना जवाब नीचे मुजब छे :–
(१) अरिहंत :– तेओ चार अक्षरना भगवान छे, ‘नमो अरिहंताणं’ मां
आपणे तेमने रोज याद करीए छीए. तेमना पहेला बे अक्षर ‘अरि’ एटले शत्रु, पण
छेल्ला बे अक्षर ‘हंत’ ते मोहशत्रुने हणी नांखे छे. मोहने हणनारा होवा छतां
भगवान अरिहंतदेव परम अहिंसक छे.
(२) सिद्ध :– बे अक्षरना आ भगवान कदी खाता नथी, कदी बोलता नथी,
कदी चालता नथी; तेमने शरीर पण नथी; ते चैतन्यबिंब सिद्धभगवान आपणने
आंखेथी देखाता नथी, छतां ‘नमो सिद्धाणं’ कहीने आपणे नमस्कारमंत्रमां तेमने रोज
याद करीए छीए.
(३) वर्द्धमान : चार अक्षरना आ भगवान धर्मनी वृद्धि करनारा छे; छेल्ला बे
अक्षर एटले मान, ते तेमनी पासे नथी, भगवान तो निर्मान छे. पहेलो अक्षर ‘व’
छेल्लो अक्षर ‘न’–एवा वनमां तेओ मुनिदशा वखते रहेता हता. छेल्लो अक्षर ‘न’
अने पहेलो अक्षर ‘व’ एटले ‘नव’ ९; तेमां १प उमेरतां २४ थया; ते चोवीसमां
तीर्थंकर वर्द्धमान स्वामीने नमस्कार हो. (वर्द्धमान शब्दमां जोडीया अक्षर छे –पण
कोयडानी सगवडता खातर तेमां चार अक्षर गण्या हता.)
आ धार्मिक प्रश्नमां एकंदर ६०० उपरांत बाळकोए खूब ज उमंगथी भाग
लीधो छे, ने फरीफरीने आवा धार्मिक प्रश्नोत्तर आपवा मांगणी करी छे. जवाब
मोकलनारा बाळकोने भेटपुस्तको मोकलाई गया छे. आ पुस्तको पोरबंदरना कोठारी
ब्रधर्स तफरथी, (तेमना मातुश्री कसुंबाबेन भूरालालना स्मरणार्थे), तथा बोटादना
मंजुलाबेन शिवलाल गांधीना स्मरणार्थे हीराबेन तरफथी आपवामां आव्या छे.
बंधुओ, आ वखते मात्र एक ज नवो प्रश्न पुछवानो छे...
साडापांच अक्षरनी एक वस्तु; घणी सरस; एने जोतां ज तमने आनंद
थाय...... एना साडापांच अक्षरमांथी पहेलांं बे अक्षर तो तमारी पासे पण छे.... त्रीजो
अक्षर जीवनमां सौथी पहेलो छे.....अने छेल्ला अढी अक्षर जेनी पासे होय ते
सौभाग्यवान गणाय छे–ए वस्तु मात्र अमारा सोनगढमां ज छे, बीजे क््यांय नथी.....
ए वस्तुनुं चित्र तमारा घरमां पण जरूर हशे..... कहो जोईए–कई छे ते सुंदर वस्तु?