: पोष : २४९९ आत्मधर्म : ३९ :
नथी, तेनुं कर्तृत्व आत्माना ज्ञानस्वभावमां नथी. विकल्प ते अज्ञानीनुं कार्य छे,
ज्ञानीने विकल्प ते ज्ञेयपणे छे, ज्ञानना कार्यपणे नहीं. माटे कह्युं के विकल्पनो करनार
अज्ञानी छे. ज्ञानी तो ज्ञानस्वभावनो ज करनार छे, ते विकल्पनो जुदापणे जाणनार
छे, करनार नथी. ज्ञानस्वभावनी अनुभूति वडे आवी अपूर्व ज्ञानदशा प्रगटे छे. अने
सोनगढ – समाचार
पूज्य गुरुदेवश्री सुखशांतिमां बिराजमान छे. सवारे श्री नियमसारजी अने
बपोरे श्री समयसारजी शास्त्र उपर सुंदर प्रवचनो चाली रह्या छे. जयपुरथी शेठश्री
पूरणचंद्रजी गोदीका, श्री पं. हुकमचंदजी शास्त्री तथा महेन्द्रकुमारजी सेठी अने फतेपुरथी
श्री बाबुभाई चुनीलाल महेता पूज्य गुरुदेवना सत्समागम तथा प्रवचनोनो लाभ
लेवा सोनगढ आव्या हता. तदुपरांत महाराष्ट्रना मुमुक्षुओ पण पूज्य गुरुदेवना
सत्समागनो लाभ लेवा आव्या छे.
श्री परमागम मंदिरनुं निर्माणकार्य तथा मशीन द्वारा श्री समयसारजी शास्त्रना
अक्षरो कोतरवानुं काम बराबर चाली रह्युं छे. मागशर वद आठमे पूज्य गुरुदेवश्रीना
सुहस्ते ईटालीथी आवेला मशीन द्वारा अक्षरो कोतरवानी मंगळ शरूआत अजित
प्रेसमां थई, ते प्रसंगे मुमुक्षुओए उल्लास व्यक्त कर्यो हतो.
आत्मधर्मना ग्राहकोने सूचना
सं. २०२९ ना ग्राहकोने “वीतराग विज्ञान” (छहढाळा – प्रवचन भाग, ३)
पुस्तक स्व. श्री वछराजभाई गुलाबचंद कामदार गोंडलवाळानां सुपुत्रो तरफथी भेट
आपवानुं छे. जेओ रूबरू पुस्तक नथी लई गया अने पोस्ट द्वारा मंगाववा ईच्छा होय
तेमणे नीचेना सरनामे ०–४० पैसानी पोस्टनी टिकिटो बीडवी अने रजीस्टरथी
मंगाववा ईच्छनारे १–४० नी टिकिटो बीडवी. टिकिटो मोकलनारने ज संस्था पोस्ट
द्वारा मोकले छे.
– श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)