Atmadharma magazine - Ank 354
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९९
आपनां घरनुं उत्तम आभूषण
श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र) ना पुस्तक
विभागमां हाल नीचेना गुजराती पुस्तको मळे छे. पुस्तकोनी किंमत उपरांत तेनुं
रवानगी खर्च पण मंगावनारे आपवानुं होय छे. पुस्तकना ओर्डरनी साथे तेनी
किंमतनी रकम पण मोकलवी जरूरी छे–केमके पुस्तको उधार लखीने मोकलाता
नथी. वी. पी. थी मंगाववा ईच्छता होय तो तेम लखवुं जरूरी छे. पुस्तकोमां
कमिशन अपातुं नथी. दरेक पुस्तक आपने अध्यात्मना उच्च संस्कार अने
आत्महितनी उत्तम प्रेरणा आपशे. आवा वीतरागी साहित्यनो खूब–खूब प्रचार
करवानी जरूर छे. वीतरागी साहित्य ए श्रावकना घरनुं श्रेष्ठ आभूषण छे.
आत्मधर्म–मासिक (वार्षिक लवाजम) ४–०० सम्यग्ज्ञान दीपिका १–प०
छ मास (वैशाखथी आसोना) २–०० सम्यग्दर्शन भाग–४ १–प०
आत्मधर्म–मासिक (हिंदी) लवाजम ४–०० सम्यग्दर्शन भाग–प १–२प
मंगल तीर्थयात्रा ६–०० जिनेन्द्र भजनमाळा १–२प
प्रवचनसार (मूळशास्त्र) प–प० श्री कानजीस्वामीनो जीवन–परिचय १–००
समयसार प्रवचन (भाग–१) ४–०० द्रव्यसंग्रह १–००
आत्मवैभव (४७ शक्ति प्रवचन) ३–प० जैन सिद्धांत – प्रश्नोत्तरमाळा १–१२
आत्मभावना (समाधिशतकप्रवचन) ३–२प रत्न संग्रह भाग–१ ०–८०
आत्मसिद्धि पर प्रवचनो ३–२प रत्न संग्रह भाग–२ ०–८०
मोक्षमार्ग प्रकाशक ३–०० चिद्दविलास ०–७प
पंचास्तिकाय संग्रह (मूळशास्त्र) ३–०० अष्टप्रवचन १–००
समयसार–कळश टीका २–प० वीतरागविज्ञान (छ ढाळा प्रवचनो) भाग–२ ०–प०
अनुभव प्रकाशप्रवचनो २–प० वीतराग विज्ञान (छ ढाळा प्रवचनो) भाग–३ १–००
पंच कल्याणकप्रवचनो २–२प अकलंक–निकलंक (धार्मिक नाटक) ०–७प
जिनेन्द्र पूजा संग्रह २–०० दर्शनकथा ०–७०
पुरुषार्थ सिद्धिउपाय २–०० सम्यक्प्रभा ०–७प
ईष्टोपदेश २–०० आत्मसिद्धि–अर्थ (गूटको) ०–६०
मोक्षमार्ग प्रकाशकनां किरणो (भाग–२) १–६३ आत्मसिद्धि (मूळगाथा) ०–१प