Atmadharma magazine - Ank 356
(Year 30 - Vir Nirvana Samvat 2499, A.D. 1973)
(Devanagari transliteration).

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२४९९: जेठ आत्मधर्म : १:
छ मासनुं वीर सं. २४९
लवजम : जठ :
ब रूपय JUNE 1973
वर्ष ३० अंक–८
संतो बतावे छे आत्माना हितनो मार्ग
भाई, तारा हितनो मार्ग तारा स्वभावनी जातनो छे,
ते रागनी जातनो नथी.
आत्मानो मोक्षमार्ग एटले सुखनो मार्ग, ते कोई बीजाना आश्रये प्रगटतो
नथी; पर तरफनो जे कोई भाव होय ते राग–द्वेषरूप भाव छे, ते मोक्षमार्ग नथी, ते
आत्मानी जात नथी. मोक्षमार्ग तो आत्मानी जातनो ज होय, ते आत्माना
स्वभावना आश्रये ज प्रगटे छे; ते रागना आश्रये प्रगटतो नथी, के शरीरना आश्रये
थतो नथी.
आत्मानी चैतन्यजात अने रागादि परभावनी जात–ए बंने अत्यंत भिन्न छे.
चैतन्यजातना आश्रये राग प्रगटे नहि, ने रागनी जातना आश्रये चैतन्यजात प्रगटे
नहि. बंनेनी भिन्न जात ओळखे त्यारे ज चैतन्यस्वभावना आश्रये चैतन्यभावरूप
सम्यक्दर्शन–ज्ञान–चारित्र प्रगटे. ते ज मोक्षमार्ग छे.
अहो, आत्मा तो ज्ञानस्वरूप छे; तेना आश्रये प्रगटेलो ज्ञानभाव ज
मोक्षमार्ग छे. अंशी एवो जे ज्ञान–आनंदस्वभाव, तेना आश्रये ज मोक्षमार्गरूप
अंशो प्रगटे छे. स्वभावना अंशो अंशीना ज आश्रये प्रगटे, पण विजातना आश्रये न
प्रगटे. साचा ज्ञाननो अंश ज्ञानना ज आश्रये प्रगटे, रागना आश्रये न प्रगटे.
रागना