Atmadharma magazine - Ank 372
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 37 of 53

background image
: ३४ : आत्मधर्म : आसो : २५००
गया हता; ने बीजा स्थळोए स्थानिक मुमुक्षु विद्वान भाईए कार्य संभाळ्‌युं हतुं.
अध्यात्मशैलिना तत्त्वज्ञानथी भरपूर प्रवचनो सांभळीने दरेक स्थळे जैनसमाजने खूब
प्रसन्नता थई हती, ने एक मूळभूत वात सौने लक्षमां आवी हती के वीरनाथ
भगवानना मार्गमां मोक्षने साधवा माटे सौथी पहेलांं आत्मानुं सम्यग्दर्शन ने
सम्यग्ज्ञान जरूर करवुं जोईए; त्यारपछी चारित्र पण मुमुक्षुनुं कर्तव्य छे. नीचेना गाम
–शहेरोमां सोनगढना प्रचारविभाग तरफथी मुमुक्षु–विद्वान गया हता, ने त्यां दरेक
स्थळे पूजन–अभिषेक–रथयात्रा–प्रवचन–धार्मिकवर्ग वगेरे द्वारा सुंदर धर्मप्रभावना
थयाना समाचार आव्या छे–
[बडोत, झांसी, सीवनी, महु, रतलाम, खैरागढ,
अशोकनगर, मद्रास, सोलापुर, लाखेरी, सीहोर (म. प्र.) चांदखेडी, ललितपुर,
नागपुर, बेलनगंज, आगरा, जयपुर, वींछीया, मोरबी, वांकानेर, राजकोट, मुंबई
तथा उपनगरो, आरौन बीना, शहपुरा (मिटौनी), ईन्द्राना, मोशी–नैरोबी
(आफ्रिका), वडोदरा, हरदा, बंडा–बेलई (सागर) खुरई, जबलपुर, पनागर, ईम्फाल
–मणिपुर, हिंमतनगर, सिकन्द्राबाद–हैद्राबाद, भोपाल, पिपलानी, बेंगलोर, कलकत्ता,
गौहाती–आसाम, महिदपुर, भिन्ड, खनियांधाना (शिवपुरी), बेगमगंज, एत्मादपुर,
उदयपुर, लोहारदा, शिवपुरी
]
विशेषमां अनेकस्थळे मुमुक्षुमंडळनी स्थापना थई; खैरागढमां सिद्धचक्रविधान
थयुं; कंचनबेन खेमराज तथा सोनगढना ब्र. ताराबेने ८ उपवास कर्या; रत्नत्रयव्रतनुं
उद्यापन थयुं. मुलुन्दमां कुमारपाळ कांतिलाले (वर्ष १४) आठ उपवास कर्या हता;
सीहोर (म. प्र.) मां
M.L. जैनना सुपुत्री कुमारी विजयाबेने ११ उपवास कर्या हता;
चांदखेडीमां समवसरण बनी रह्युं छे; ललितपुरमां ‘मम्मी! केसे थे महावीर?’
वगेरेनो सुंदर प्रोग्राम थयो. आरौन वगेरे अनेकस्थळे महावीर–धर्मचक्र तैयार थाय छे.
अढीहजार वर्षीय निर्वाणमहोत्सव बाबतमां दरेक स्थळे घणो ज उत्साह छे. खुरई
(सागर) मां मानस्तंभ बने छे; बेंगलोरमां जिनमंदिर तथा समवसरण बनी रह्या
छे, आगामी वर्षमां प्रतिष्ठामहोत्सव थशे. भोपाल (पिपलानी) मां पण नवुं
जिनमंदिर बनी रह्युं छे; तेनो पण प्रतिष्ठामहोत्सव आवता वर्षमां थशे. वांकानेरमां
युवानोए अकलंक–निकलंक नाटक कर्युं हतुं; तेमां जैनधर्मनी भक्ति–प्रभावना प्रसंगो
देखीने सौ आनंदित थया हता.