Atmadharma magazine - Ank 372
(Year 31 - Vir Nirvana Samvat 2500, A.D. 1974)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : आसो : २५००
लवाजम आवती सालथी रूा. ६/ (छ रूपिया) करवामां आव्युं छे. आप
(भूलथी चार नहि पण) छ रूपिया लवाजम वेलासर, आत्मधर्म–कार्यालय, सोनगढ)
() ए सरनामे मोकली आपशो. अत्यारे आत्मधर्मना ३५०० उपरांत
ग्राहको छे–जे अत्यार सुधीना ३१ वर्षमां सौथी वधु छे;–पण हवेना निर्वाण–
महोत्सवना महान वर्षमां ए संख्या वधीने ४००० नो आंक वटावी देशे एवी आपणे
अपेक्षा राखीए. मात्र लवाजम वधवाना कारणे एकपण जिज्ञासु आत्मधर्म वांचवानुं
बंध न करे; ते माटे समर्थ जिज्ञासुओ पोतपोताना अन्य साधर्मीनुं पण लवाजम
भरीने वात्सल्यभाव बतावजो. आत्मधर्मने प्रगतीना पंथे राखवा माटे संकोचपूर्वक
लवाजममां आटलो वधारो करवानी फरज पडी छे. आप तुरतमां ज आपनुं लवाजम
भरीने साथ आपशो. कागळनी खेंचने कारणे अंको मर्यादित संख्यामां ज छपाय छे,
अने मोडा लवाजम मोकलनारने शरूना अंको मळवानुं मुश्केल बनी जाय छे. पहेली
तारीखथी ज नवो अंक छापवानुं शरू थशे, माटे आप त्यार पहेलांं ज लवाजम मोकली
आपशो. मुंबई–राजकोट–अमदावाद–कलकत्ता वगेरेना मुमुक्षु मंडळने शीघ्र पोताना
ग्राहकोनुं लीस्ट लखी मोकलवा सूचना छे.
आत्मधर्म घरघरमां ऊच्च संस्कारोनी केवी सुंदर रेलमछेल करे छे ते आप सौ
जाणो छो. तेमांय आ तो विशेष उत्सवनुं वर्ष आपना परिवारने खूब ज आनंदित करशे.
आत्मधर्ममां साथ–सहकार आपनारा सर्वे साधर्मीजनोनो आभार मानीए
छीए, अने विशेष उन्नति माटे सौना सहकारनी अपेक्षा राखीए छीए. –ब्र. हरिलाल जैन
उत्सवना मंगल वधामणां–
भगवान महावीरना निर्वाणमहोत्सवना २५००
वर्षना उपलक्षमां आखा वर्षनो जे भव्यमहोत्सव भारतभरमां
उजववानो छे तेनो मंगल प्रारंभ ता. १३ नवेम्बरना रोज थई
रह्यो छे. ते मंगल प्रारंभमां भारतना वडाप्रधान श्रीमती
इंदिराबेन गांधी रेडियो–प्रवचन द्वारा महावीर भगवान प्रत्ये
अंजलि आपशे.–अने तेमना करतांय वधु भावभीनी श्रद्धांजलि
आपणे सौ मुमुक्षुओ आपीशुं