Atmadharma magazine - Ank 384
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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फोन नं. ३४ “आत्मधर्म” Regd. No. G. B. V. 10

श्रीमत् परम गम्भीरं स्वायद्वाद अमोधकालञ्छनम्।
जीयात् त्रैलोक्खनाथस्य शासनं जिनशासनम्।।

अहो, वीरनाथ भगवाननुं जिनशासन अनेकान्तवडे
आत्मस्वभावनो गंभीरमहिमा बतावीने, अंतर्मुखद्रष्टि
करावीने तेना आश्रये अपूर्व वीतरागी धर्मचक्र चालु करे छे.
ते जिनशासन सदाय जीवंत रहो.
रुरुरु
रुरुरुरु
प्रकाशक: श्री दिगंबर जैन स्वाध्यामंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र) आसो
मुद्रक: मगनलाल जैन, अजित मुद्रणालय, सोनगढ (सौराष्ट्र) प्रत ३१००