अर्पण
जेमणे आ पामर पर अपार उपकार कर्यो छे, जेमनी सम्यक्
अनेकांतमय तत्त्वज्ञानथी सघान शीतळ छायामां अनेक
भव्य जीव सनातन सत्य जैन मार्ग – कल्याण मार्गने
पात्र थया छे, थाय छे अने थशे. जेमना
पवित्र गुणोनुं वर्णन करवाने हुं असमर्थ
छुं. जिज्ञासु जीवोने अपूर्व जिज्ञासा
जाग्रत थवामां शुद्धात्मबोधानी प्राप्ति
थवामां महान उपकारी, अधयात्म-
योगी परम पूज्य गुरुदेव श्री
कानजीस्वामीना कर
कमळमां विनम्रभावे
समर्पण.
सेवक
हरिलाल भायाणीभाद्र सु. ५वीर निर्वाण सं. २४८७
श्री आलोचना (गुजराती)ना
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स्थायी प्रकाशन-पुरस्कर्ता ✾
श्रीमती सुधाबेन रमणिकलाल शाह, लंडन