Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration).

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तैयार थयो छे. जेमनी नोंध अत्रे उपयोगी थई छे ते बहेनो अभिनंदनीय छे.

पूज्य बहेनश्रीना श्रीमुखेथी वहेली प्रवचनधारामांथी झिलायेलां अमृतबिंदुओना आ लघु संग्रहनी तात्त्विक वस्तु अति उच्च कोटिनी छे. तेमां आत्मार्थप्रेरक अनेक विषयो आवी गया छे. क्यांय न गमे तो आत्मामां गमाड; आत्मानी लगनी लागे तो जरूर मार्ग हाथ आवे; ज्ञानीनी सहज परिणति; अशरण संसारमां वीतराग देव-गुरु-धर्मनुं ज शरण; स्वभावप्राप्ति माटे यथार्थ भूमिकानुं स्वरूप; मोक्षमार्गमां प्रारंभथी मांडी पूर्णता सुधी पुरुषार्थनी ज महत्ता; द्रव्यद्रष्टि अने स्वानुभूतिनुं स्वरूप तथा तेनो चमत्कारिक महिमा; गुरुभक्तिनो तथा गुरुदेवनी भवान्तकारिणी वाणीनो अद्भुत महिमा; मुनिदशानुं अंतरंग स्वरूप तथा तेनो महिमा; निर्विकल्पदशा

ध्याननुं स्वरूप; केवळज्ञाननो

महिमा; शुद्धाशुद्ध समस्त पर्यायो विरहित सामान्य द्रव्यस्वभाव ते द्रष्टिनो विषय; ज्ञानीने भक्ति-शास्त्रस्वाध्याय आदि प्रसंगोमां ज्ञातृत्वधारा तो अखंडितपणे अंदर जुदी ज कार्य कर्या करे छे; अखंड परथी द्रष्टि छूटी जाय तो साधकपणुं ज न रहे; शुद्ध शाश्वत चैतन्यतत्त्वना आश्रयरूप स्ववशपणाथी शाश्वत सुख प्रगट थाय छे; वगेरे विविध अनेक विषयोनुं सादी छतां असरकारक सचोट भाषामां सुंदर निरूपण थयुं छे.

अजित मुद्रणालयना मालिक श्री मगनलालजी जैने आ पुस्तकनुं सुंदर मुद्रण बहु अल्प समयमां करी आप्युं छे ते बदल तेमने धन्यवाद घटे छे.

आ पुस्तकनी पडतर किंमत लगभग सात रूपिया थाय छे, परंतु अनेक मुमुक्षुओए उत्साहपूर्वक दाननो प्रवाह वहेवडाव्यो होवाथी तेनी किंमत घटाडीने त्रण रूपिया राखवामां आवी छे.

आ पुस्तकना प्रकाशन खाते आवेली रकमोमांथी बचेली रकम तेनी बीजी आवृत्तिनी किंमत घटाडवाना उपयोगमां लेवामां आवशे.