सुसीमा धृता येन सीमन्धरेण
भवारण्यभीमभ्रमीया सुकृ त्यैः ।
भवारण्यभीमभ्रमीया सुकृ त्यैः ।
प्रवन्द्यः सदा तीर्थकृ द्देवदेवः
प्रदेयात् स मेऽनन्तक ल्याणबीजम् ।।
प्रदेयात् स मेऽनन्तक ल्याणबीजम् ।।
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देखी मूर्ति सीमंधरजिननी नेत्र मारां ठरे छे,
ने हैयुं आ फरी फरी प्रभु! ध्यान तेनुं धरे छे;
आत्मा मारो प्रभु! तुज कने आववा उल्लसे छे,
आपो एवुं बळ हृदयमां माहरी आश ए छे.
ने हैयुं आ फरी फरी प्रभु! ध्यान तेनुं धरे छे;
आत्मा मारो प्रभु! तुज कने आववा उल्लसे छे,
आपो एवुं बळ हृदयमां माहरी आश ए छे.
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भले सो इन्द्रोनां तुज चरणमां शिर नमतां,
भले इन्द्राणीना रतनमय स्वस्तिक बनता;
नथी ए ज्ञेयोमां तुज परिणति सन्मुख जरा,
स्वरूपे डूबेला, नमन तुजने, ओ जिनवरा!
भले इन्द्राणीना रतनमय स्वस्तिक बनता;
नथी ए ज्ञेयोमां तुज परिणति सन्मुख जरा,
स्वरूपे डूबेला, नमन तुजने, ओ जिनवरा!