Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-६)

३२६ वाले हों, वह स्वप्न ऐसा होता है कि जिसका फल... भगवान पधारनेवाले हैं तो स्वप्न आता है। वह स्वप्न यथार्थ होते है। ऐसे कोई स्वप्न यथार्थ भी होते हैं। और कोई स्वप्न अपने रटनका स्वप्न होता है।

मुमुक्षुः- जो रटन करे उसका स्वप्न आये।

समाधानः- वह स्वप्न आये। किसी को .. लेकर स्वप्न आये, किसीको कुछ स्वप्न आये। स्वप्नके कई प्रकार हैं। वह स्वयं जान सके कि यह स्वप्न किस प्रकारका है।

मुमुक्षुः- गुरुदेवश्री.. उस दिन मैंने जल्दीमें पूछा था। गुरुदेवश्री विराजमान हुए, आप पीछे विराजते हैं, ऐसा मैं देखती हूँ और गुरुदेवश्री पधारकर ऐसा कहते हैं कि हम यहाँ आराम करेंगे। यहाँ आहार लेंगे। सबको यहाँ आता है। तो यह किस प्रकारका स्वप्न कहा जाये? आप यहाँ विराजमान हो, और वहाँ मुझे दो बार...

समाधानः- (खुद ही) समज सके।

मुमुक्षुः- अब सच्चा ज्ञान है तो अपनेको ऐसा लगे कि जो प्राप्त करते हैं, वह सब सच्चा है। अब उसका भरोसा तो गुरु ही करवाये न? या सही-गलत का निर्णय खुद करे?

समाधानः- गुरु भरोसा करवाये और स्वयं भी भरोसा कर सके कि यह यथार्थ है।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!