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वही श्रेयभूत है और वही शरणभूत है। अन्य कोई शरण नहीं है। ... पूरा होता है, तो फिर यह तो मनुष्य जन्म है। छोटी उम्रमें ऐसा हो जाय इसलिये लगे, लेकिन कुदरतके आगे कोई उपाय नहीं है।
मुमुक्षुः- ..
समाधानः- शान्तिके सिवा अन्य कोई उपाय नहीं है। अहेमदाबाद रहते हैं?
मुमुक्षुः- हाँ, अहेमदाबाद रहते हैं।
समाधानः- जन्म-मरणमें कितनोंको छोडकर स्वयं आया, स्वयंको छोडकर दूसरे चले जाते हैं। ऐसा संसारमें बनता रहता है। शान्ति रखनेके सिवा कोई उपाय नहीं है। संसार ऐसा है। आयुष्य क्षणिक पानीके बुलबुले जैसा है। ओसके बिन्दुकी भान्ति, जैसे बिन्दु क्षणमात्रमें विलीन हो जाता है। ऐसा यह संसार है। बिजलीके चमकारे जैसा आयुष्य है। उसमें आत्माका कर लेने जैसा है। विस्मृत किये बिना छूटकारा नहीं है।
(अनन्त) जन्म-मरण किये हैं। इस जगतके पुदगल परमाणु ग्रहण किये हैं और त्याग किया है। आकाशके प्रदेशमें अनन्त बार जन्म-मरण किये। ऐसे अनन्त कालचक्र। अनन्त अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी कालमें अनन्त बार जन्म-मरण किये हैं। जीवने अनन्त कालमें अनन्त माताओंको रुलाया है (कि जिससे) समुद्र भर जाय। इतने जन्म-मरण किये हैं। स्वयंको छोडकर दूसरे चले जाते हैं और अन्य स्वयंको छोडकर जाते हैं। ऐसा यह संसार है। ... छोडकर जाय और पुत्र माताको छोडकर चला जाय, ऐसा यह संसार है। संसारमें शान्ति रखनेके सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं है। संसार तो ऐसा ही है। कुदरतके आगे कोई उपाय नहीं है। आयुष्यके आगे कोई उपाय नहीं है। आयुष्य पूर्ण होता है।
.. उसका मंत्र है। ... पंच परमेष्ठी। यह पंच परमेष्ठी नवकार मन्त्र है। उतना तो समझना।
मुमुक्षुः- ...
समाधानः- शुभभावना होती है, अच्छी भावना हो। पंच परमेष्ठी पर भाव हो तो होता है।
... कोई उपाय नहीं है। किसीका उपाय काम नहीं आता। चाहे जैसे डाक्टर आये, तो भी जो बननेवाला है, उसमें किसीका काम नहीं आता।
मुमुक्षुः- मांगलिक। चत्तारी मंगलं, अरिहंता मंगलं, साहू मंगलं, केवलिपणत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारी लोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलिपणत्तो धम्मो लोगुत्तमा।