Bruhad Dravya Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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धर्म अनुप्रेक्षा ........................................................................ ३५ ---------------- १६१
परिषहजयनुं कथन ..................................................................... ३५ ---------------- १६३
चारित्रनुं कथन .......................................................................... ३५ ---------------- १६३
संवरपूर्वक निर्जरातत्त्वनुं स्वरूप ...................................................... ३६ ---------------- १६७
मोक्ष तत्त्वनुं कथन ...................................................................... ३७ ---------------- १७१
पुण्य-पापना स्वरूपनुं कथन .......................................................... ३८ ---------------- १७५
अधिाकार त्रीजो
(मोक्षमार्ग अधिाकार)
(मोक्षमार्ग अधिाकार) ...............................
...............................
............................... ३९-५७
३९-५७
३९-५७ ------
------
------ १७९-२६२
१७९-२६२
व्यवहार अने निश्चय मोक्षमार्गनुं स्वरूप ......................................... ३९ ---------------- १७९
अभेदपणे आत्मा ज मोक्षमार्ग छे ................................................ ४० ---------------- १८१
सम्यग्दर्शननुं कथन ..................................................................... ४१ ---------------- १८३
पचीस दोष रहित सम्यक्त्वनुं कथन ............................................... ४१ ---------------- १८६
सम्यक्त्वना आठ अंगनुं स्वरूप..................................................... ४१ ---------------- १९१
सम्यक्त्वनो महिमा .................................................................... ४१ ---------------- १९८
सम्यक्ज्ञाननुं स्वरूप .................................................................... ४२ ---------------- २०१
सम्यक्ज्ञानना भेद ...................................................................... ४२ ---------------- २०२
चार अनुयोगनुं स्वरूप................................................................ ४२ ---------------- २०३
विकल्प रहित सत्तानुं ग्रहण करनार दर्शननुं कथन ............................. ४३ ---------------- २०६
मुक्त जीवोने दर्शन अने ज्ञान एक साथे ज थाय छे ........................ ४४ ---------------- २०८
दर्शन अने ज्ञानना स्वरूप संबंधी शंका समाधान .............................. ४४ ---------------- २१०
सराग चारित्रनुं स्वरूप ............................................................... ४५ ---------------- २१४
व्यवहारचारित्रथी साध्य निश्चय चारित्रनुं निरूपण .............................. ४६ ---------------- २१७
निश्चय अने व्यवहार मोक्षमार्गने अनुरूप ........................................ ४७ ---------------- २१९
ध्यानना अभ्यासनो उपदेश, ध्याता पुरुषनुं लक्षण ............................. ४८ ---------------- २२१
आगम भाषाए ध्यानना भेदोनुं कथन............................................ ४८ ---------------- २२२
अध्यात्मभाषाए ध्याननुं स्वरूप ..................................................... ४८ ---------------- २२६
ध्यानना प्रतिबंधक मोह-राग-द्वेषनुं स्वरूप ........................................ ४८ ---------------- २२६
मंत्रवाक्यमां स्थित पदस्थ ध्याननुं विवरण ....................................... ४९ ---------------- २२८
[९]
विषय
गाथा नं.
पाना नं.