Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Triji Dhalano Lakshan-sangrah.

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बहिरंग परिग्रहःक्षेत्र, मकान, रूपुं, सोनुं, धन, धान्य, दासी,
दास, कपडां अने वासणए दस छे.
भावकर्मःमिथ्यात्व, राग, द्वेष, क्रोध, वगेरे.
मदःआठ प्रकारना छेः
जाति लाभ कुल रूप तप, बल विद्या अधिकार;
इनको गर्व न कीजिये, ए मद अष्ट प्रकार.
मिथ्यात्वःविपरीत, एकांत, विनय, संशय अने अज्ञान.
रसःखाटो, मीठो, कडवो, तीखो अने कषायेलो.
रूप (रंग)ःकाळो, पीळो, लीलो, लाल अने सफेद ए पांच.
स्पर्शःहलको, भारे, लूखो, चीकणो, कर्कश, सुंवाळो, ठंडो अने
गरमए आठ स्पर्श छे.
त्रीजी ढाळनो लक्षण-संग्रह
अनायतनःसम्यक्त्वनो नाश करनार कुदेवादिनी प्रशंसा करवी ते.
अनुकंपाःप्राणी मात्र उपर दयानो भाव.
अरिहंतःचार घातिकर्मो रहित, अनंतचतुष्टयसहित वीतरागी
अने केवळज्ञानी परमात्मा.
अलोकःज्यां आकाश सिवायना द्रव्यो नथी एवी जग्या.
अविरतिःपापोमां प्रवृत्ति.
अविरत सम्यग्द्रष्टिःसम्यग्दर्शन सहित, परंतु व्रतरहित एवा
चोथा गुणस्थानवर्ती जीव.
त्रीजी ढाळ ][ ९३