ते सामान्य अने विशेष एवा बे भेदवाळी छे. वस्तुना स्वरूपने निष्पन्न राखवानुं जे सामर्थ्य ते तो सामान्य वीर्यशक्ति छे. विशेष वीर्यशक्तिना त्रण भेद छे – द्रव्यवीर्यशक्ति, गुणवीर्यशक्ति, पर्यायवीर्यशक्ति. (वळी)
क्षेत्रवीर्य, काळवीर्य, तपवीर्य, भाववीर्य, इत्यादि विशेष छे. ते केटलाक विशेषो लखीए छीए. प्रथम ज द्रव्यवीर्य लखीए छीए.