Chidvilas-Gujarati (Devanagari transliteration). Virya Shakti.

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वीर्यशकित
हवे वीर्यशक्तिनुं स्वरूप कहीए (छीए)ः
पोताना स्वरूपने निष्पन्न करनारी, सामर्थ्यरूप वीर्यशक्ति छे;
ते सामान्य अने विशेष एवा बे भेदवाळी छे. वस्तुना स्वरूपने निष्पन्न
राखवानुं जे सामर्थ्य ते तो सामान्य वीर्यशक्ति छे. विशेष वीर्यशक्तिना
त्रण भेद छे
द्रव्यवीर्यशक्ति, गुणवीर्यशक्ति, पर्यायवीर्यशक्ति. (वळी)
क्षेत्रवीर्य, काळवीर्य, तपवीर्य, भाववीर्य, इत्यादि विशेष छे. ते केटलाक
विशेषो लखीए छीए. प्रथम ज द्रव्यवीर्य लखीए छीए.
१. समयसार गुज० पृ. ५०३.