Gurudevshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration).

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देखी मूर्ति सीमंधरजिननी नेत्र मारां ठरे छे,
ने हैयुं आ फरी फरी प्रभु! ध्यान तेनुं धरे छे;
आत्मा मारो प्रभु! तुज कने आववा उल्लसे छे,
आपो एवुं बळ हृदयमां माहरी आश ए छे.
अंकुर एक नथी मोह तणो रह्यो ज्यां,
अज्ञान-अंश बळी भस्मरूपे थयो ज्यां;
आनंद, ज्ञान, निज वीर्य अनंत छे ज्यां,
त्यां स्थान मागुं
जिननां चरणांबुजोमां.
भले सो इन्द्रोनां तुज चरणमां शिर नमतां,
भले इन्द्राणीना रतनमय स्वस्तिक बनता;
नथी ए ज्ञेयोमां तुज परिणति सन्मुख जरा,
स्वरूपे डूबेला, नमन तुजने, ओ जिनवरा!
सुर-असुर-नरपतिवंद्यने, प्रविनष्टघातिकर्मने,
प्रणमन करुं हुं धर्मकर्ता तीर्थ श्री महावीरने.