४५. धान्य दिन आजे ©ग्यो रे
(राग – वीरप्रभुजी मोक्ष पधार्या)
अपूर्व अवसर सुवर्णपुरीमां, पधार्या सद्गुरुदेव रे;
धन्य दिन आजे ऊग्यो रे. १.
भव्य हृदयमां तत्त्व रेडीने, पधार्या तीरथधाम रे; धन्य० २.
प्रभावनानो ध्वज फरकावी, भेट्या आजे भगवान रे; धन्य० ३.
देशोदेश जयकार गजावी, पधार्या श्री गुरु कहान रे; धन्य० ४.
मीठो महेरामण आंगणे दीठो, अहो श्री सद्गुरुदेव रे; धन्य० ५.
सोळ कळाए सूर्य प्रकाश्यो, वरस्या अमृत-मेह रे; धन्य० ६.
सत्य स्वभावने बताववा गुरु, अजोड जाग्यो तुं संत रे; धन्य० ७.
अजब शक्ति गुरु ताहरी देखी, इन्द्रो अति गुण गाय रे; धन्य० ८.
श्री गुरुराजनी पधरामणीथी, आनंद अति उलसाय रे; धन्य० ९.
मन्दिर ने आ धामो अमारां, दीसे अति रसाळ रे; धन्य० १०.
वृक्षो अने वेलडीओ गुरुजीने लळी लळी लागे पाय रे; धन्य० ११.
फळफूल आजे नीचां नमीने, पूजन करे गुरु-पाय रे; धन्य० १२.
मोर ने पोपट सहु कहे – आवो, आवोने कहानगुरुदेव रे; धन्य० १३.
गुरुचरणना स्पर्शथी आजे, भूमि अति हरखाय रे; धन्य० १४.
रंकथी मांडी राय सहुने आनंद आनंद थाय रे; धन्य० १५.
देवो आजे विमानथी ऊतरी, वधावे कहानगुरुदेव रे; धन्य० १६.
श्री गुरुराजनां पुनित चरणथी, सुवर्णपुरे जयकार रे; धन्य० १७.
तीरथधामनी शोभा अपार ज्यां, बिराजे देव-गुरु-शास्त्र रे;
धन्य दिन आजे ऊग्यो रे. १८.
✽
[ ६० ]