वीरकथित स्वात्मानुभूतिनो पंथ प्रकाशनहारा;
श्रवणो मळ्यां सद्भाग्यथी, नित्ये अहो! चिद्रसभर्या;
गुरुदेव तारणहारथी आत्मार्थी भवसागर तर्या,
गुणमूर्तिना गुणगण तणां स्मरणो हृदयमां रमी रह्यां.
स्थळ-स्थळमां ‘भगवान आत्म’ना भणकारा संभळाता;
Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). PUJYA BAHENSHREE DWARA RACHEL PADO.
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