Panch Stotra-Gujarati (Devanagari transliteration). Prakashkiy.

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प्रकाशकीय
धर्मनुं मूळ सम्यग्दर्शन छे; अने ते विपरीताभिनिवेष रहित
भूतार्थस्वभावना ग्रहणपूर्वक तत्त्वार्थश्रद्धान थतां थाय छे. सम्यक्त्व थतां
‘हुं सिद्ध समान शुद्ध छुं’ एवुं द्रढ श्रद्धान थाय छे; ते साथे, पोतानी
वर्तमान दशा तो अपूर्ण
अशुद्धतामय छे, एवुं ज्ञान होवाथी, सम्यग्द्रष्टिने
सहेजे साचा देवगुरुधर्म प्रत्ये भक्तिनी सहृदय भावना होय छे.
अविरति धर्मात्मा तो शुं, मुनिराजने पण आवो भाव आवे छे. आम
‘सम्यग्दर्शन’ अने समकितीना सहज परिणमन विषे आ युगमां जे कांई
स्पष्टता थयेल देखाय छे, ते सर्व पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामीना पुनित
प्रतापे ज छे. वळी आजे पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रदर्शित जे स्वानुभवप्रधान
अध्यात्ममार्ग वृद्धिंगत स्थितिमां छे ते तेमना परमभक्त स्वानुभवपरिणत
पूज्य बहेनश्री चंपाबेनना मंगलप्रतापे छे.
वळी आवा ज्ञानी धर्मात्माओनुं आवुं जीवन प्राचीन आचार्योनी
रचनाओ उपरथी पण स्पष्ट थाय छे. ते पैकीना दिग्गजजैनाचार्य श्री
मानतुंगाचार्य, श्री कुमुदचन्द्रस्वामी, श्री वादिराजसूरि आदि जेवा महान
आचार्य मुनिभगवंत पण आत्मिक रत्नत्रयरूप प्रगाढ शुद्धतामां महालता
हता; ते साथे भक्तिनो उमळको पण तेमने एवो ज हतो, जाणे
भगवाननी स्तुति करवानुं तेमने व्यसन न होय! तेमांथी जुदा जुदा
आचार्य, मुनि अने कविओनां पांच स्तोत्रो
१. श्री भकतामरस्तोत्र, २.
श्री कल्याणमंदिरस्तोत्र, ३. श्री कल्याण कल्पद्रुम अपरनाम
एकीभाव स्तोत्र, ४. विषापहारस्तोत्र, ५. जिनचतुÆवशतिकास्तोत्रनो
गुजराती अर्थ सहित प्रथमवार ज ‘पंचस्तोत्रसंग्रह’ना नामे ‘पूज्य
कहानगुरुजन्मशताब्दी’ वर्षमां (वि.सं. २०४५४६) प्रकाशित करता
अति हर्ष थाय छे.
आ पुस्तकना अनुवादमां श्री भक्तामरस्तोत्र माटे श्री दिगम्बर
जैन पुस्तकालय, सुरत छपायेल भक्तामरस्तोत्रनो; कल्याणमंदिरस्तोत्र,
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