Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). Shlok: 1 Shaddravya panchastikayna samanaya vyakhyanroop pithika.

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नमः श्रीसर्वज्ञवीतरागाय
श्रीमद्भगवत्कुंदकुंदाचार्यदेवप्रणीत
श्री
पंचास्तिकायसंग्रह
षड्द्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन
श्रीमदमृतचन्द्राचार्यदेवविरचिता समयव्याख्या
सहजानन्दचैतन्यप्रकाशाय महीयसे
नमोऽनेकान्तविश्रान्तमहिम्ने परमात्मने ।।।।
मूळ गाथाओनो अने समयव्याख्या नामनी टीकानो
गुजराती अनुवाद

[प्रथम, ग्रंथना आदिमां श्रीमद्भगवत्कुंदकुंदाचार्यदेवप्रणीत प्राकृतगाथाबद्ध आ पंचास्तिकायसंग्रह’ नामना शास्त्रनी ‘समयव्याख्या’ नामनी संस्कृत टीका रचनार आचार्य श्री अमृतचंद्राचार्यदेव श्लोक द्वारा मंगळ अर्थे परमात्माने नमस्कार करे छे]

[श्लोकार्थः] सहज आनंद अने सहज चैतन्यप्रकाशमय होवाथी जे अति महान छे अने अनेकांतमां स्थित जेनो महिमा छे, ते परमात्माने नमस्कार हो. [] पं. १