Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 5 of 296

 

background image
अर्पण
जेमणे आ पामर पर अपार उपकार कर्यो छे,
जेमनी प्रेरणा अने कृपाथी पंचास्तिकायसंग्रहनो आ
अनुवाद थयो छे, जेओ श्री कुंदकुंदभगवानना
असाधारण भक्त छे, पांच अस्तिकायोमां सारभूत
एवा शुद्धजीवास्तिकायने अनुभवी जेओ स्व-पर
कल्याण साधी रह्या छे, अने जेमनी अनुभवझरती
कल्याणकारिणी जोरदार वाणीना परम प्रतापे पांच
अस्तिकायोनी स्वतंत्रतानो सिद्धांत तथा शुद्ध-
जीवास्तिकायनी अनुभूतिनो महिमा भारतभरमां
गाजतो थयो छे, ते परमपूज्य परमोपकारी
कल्याणमूर्ति सद्गुरुदेव(श्री कानजीस्वामी)ने आ
अनुवाद-पुष्प अत्यंत भक्तिभावे अर्पण करुं छुं.
अनुवादक