Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Bengali transliteration).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
শ্রী দিগংবর জৈন স্বাধ্যাযমংদির ট্রস্ট, সোনগঢ - ৩৬৪২৫০
৩৭২ ]যোগীন্দুদেববিরচিত: [ অধিকার-২ : দোহা-৯২
निजपरमात्मपदार्थं दहन्ति देवकुलशब्दवाच्यं दिव्यपरमौदारिकशरीरं च दहन्तीति कथमिति
चेत् यदा ख्यातिपूजालाभार्थं शुद्धात्मभावनां त्यक्त्वा वर्तन्ते तदा ज्ञानावरणादिकर्मबन्धो
भवति तेन ज्ञानावरणकर्मणा केवलज्ञानं प्रच्छाद्यते केवलदर्शनावरणेन केवलदर्शनं प्रच्छाद्यते
वीर्यान्तरायेण केवलवीर्यं प्रच्छाद्यते मोहोदयेनानन्तसुखं च प्रच्छाद्यत इति
एवं
विधानन्तचतुष्टयस्यालाभे परमौदारिकशरीरं च न लभन्त इति यदि पुनरनेकभवे परिच्छेद्यं
कृत्वा शुद्धात्मभावनां करोति तदा संसारस्थितिं छित्त्वाऽद्यकालेऽपि स्वर्गं गत्वागत्य शीघ्रं
शाश्वतसुखं प्राप्नोतीति तात्पर्यम्
तथा चोक्त म्‘‘सग्गो तवेण सव्वो वि पावए किं तु
झाण जोएण जो पावइ सो पावइ परलोके सासयं सोक्खं ।।’’।।९२।।
শব্দথী বাচ্য এবা নিজপরমাত্মপদার্থনে বালে ছে অনে দেবকুল শব্দথী বাচ্য এবা
দিব্যপরমোদারিক শরীরনে বালে ছে. কেবী রীতে? জ্যারে তে খ্যাতি, পূজা অনে লাভ মাটে শুদ্ধাত্মানী
ভাবনানে ছোডীনে বর্তে ছে ত্যারে জ্ঞানাবরণাদিনো বংধ থায ছে, তে জ্ঞানাবরণকর্মথী কেবলজ্ঞান
ঢংকায ছে, কেবলদর্শনাবরণথী কেবলদর্শন ঢংকায ছে, বীর্যান্তরাযথী কেবলবীর্য ঢংকায ছে অনে
মোহনা উদযথী অনংতসুখ ঢংকায ছে. আ রীতে অনংত চতুষ্টযনী প্রাপ্তি ন থতাং পরম ঔদারিক
শরীর পণ মলতুং নথী (কারণ কে তে জ ভবে মোক্ষ জবানা হোয তেনে জ পরমোদারিক শরীর
মলে ছে)
....বলী জো, শুদ্ধাত্মানী ভাবনা করে ছে তো সংসারস্থিতিনে ছেদীনে আজনা কালমাং
পণ স্বর্গমাং জঈনে ত্যাংথী আবীনে শাশ্বত সুখ পামে ছে. কহ্যুং পণ ছে কে‘‘सग्गं तवेण सव्वो
वि पावए किं तु झाण जोएण जो पावइ सो पावइ परलोके सासयं सोक्खं ।।’’ (অষ্টপাহুড-মোক্ষপ্রাভৃত
২৩) (অর্থ:তপথী তো স্বর্গ বধায পামে ছে পণ ধ্যাননা যোগথী জে স্বর্গ পামে ছে তে
আত্মা পরলোকমাং শাশ্বত সুখ পামে ছে.) ৯২.
है, मोहके उदयसे अनंतसुख, वीर्यांतरायके उदयसे अनंतबल, और केवलदर्शनावरणसे
केवलदर्शन आच्छादित होता है
इसप्रकार अनंतचतुष्टयका आवरण हो रहा है उस
अनंतचतुष्टयके अलाभमें परमौदारिक शरीरको नहीं पाता, क्योंकि जो उसी भवमें मोक्ष जाता
है, उसीके परमौदारिक शरीर होता है
इसलिये जो कोई समभावमें शुद्धात्माकी भावना करे,
तो अभी स्वर्गमें जाकर पीछे विदेहोंमें मनुष्य होकर मोक्ष पाता है ऐसा ही कथन दूसरी जगह
शास्त्रोंमें लिखा है, कि तपसे स्वर्ग तो सभी पाते हैं, परन्तु जो कोई ध्यानके योगसे स्वर्ग पाता
है, वह परभवमें सासते (अविनाशी) सुखको (मोक्षको) पाता है
अर्थात् स्वर्गसे आकर
मनुष्य होके मोक्ष पाता है, उसीका स्वर्ग पाना सफ ल है, और जो कोरे (अकेले) तपसे स्वर्ग
पाके फि र संसारमें भ्रमता है, उसका स्वर्ग पाना वृथा है
।।९२।।
১.জে সংস্কৃত টীকানো অর্থ সমজাণো নথী তে অর্থ মূকী দীধো ছে.