Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Bengali transliteration). Gatha-122 (Adhikar 2).

< Previous Page   Next Page >


Page 418 of 565
PDF/HTML Page 432 of 579

background image
Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
শ্রী দিগংবর জৈন স্বাধ্যাযমংদির ট্রস্ট, সোনগঢ - ৩৬৪২৫০
৪১৮ ]যোগীন্দুদেববিরচিত: [ অধিকার-২ : দোহা-১২২
পরিণত শুদ্ধ আত্মানে এক ক্ষণ পণ ধ্যাবতুং নথী. ১২১.
হবে, তে জ অর্থনে দ্রঢ করে ছে.
ভাবার্থ:‘মহান’ এবা মোক্ষস্বরূপ অর্থনুং সাধক হোবাথী নির্বিকল্প স্বসংবেদনরূপ
জ্ঞাননে মহান কহেবায ছে. এবুং মহান জ্ঞান জ্যাং সুধী নথী ত্যাং সুধী বহিরাত্মা নিজ
পরমাত্মভাবনাথী প্রতিপক্ষভূত স্ত্রী, পুত্রোমাং মোহিত থঈনে, নিজপরমাত্মতত্ত্বনা ধ্যানথী
উত্পন্ন, এক (কেবল) বীতরাগ সদানংদরূপ নিরাকুলতা লক্ষণবালা পারমার্থিক সুখথী বিলক্ষণ
अथ तमेवार्थं द्रढयति
२५२) जोणि-लक्खइँ परिभमइ अप्पा दुक्खु सहंतु
पुत्त-कलत्तहिँ मोहियउ जाव ण णाणु महंतु ।।१२२।।
योनिलक्षाणि परिभ्रमति आत्मा दुःखं सहमानः
पुत्रकलत्रेः मोहितः यावन्न ज्ञानं महत् ।।१२२।।
जोणि इत्यादि जोणि-लक्खइं परिभमइ चतुरशीतियोनिलक्षणानि परिभ्रमति कोऽसौ
अप्पा बहिरात्मा किं कुर्वन् दुक्खु सहंतु निजपरमात्मतत्त्वध्यानोत्पन्नवीतरागसदानन्दैक-
रूपव्याकुलत्वलक्षणपारमार्थिकसुखाद्विलक्षणं शारीरमानसदुःखं सहमानः कथंभूतः सन् पुत्त-
कलत्तहिं मोहियउ निजपरमात्मभावनाप्रतिपक्षभूतैः पुत्रकलत्रैः मोहितः किंपर्यन्तम् जाव ण
आगे उसी बातको दृढ़ करते हैं
गाथा१२२
अन्वयार्थ :[यावत् ] जब तक [महत् ज्ञानं न ] सबसे श्रेष्ठ ज्ञान नहीं है, तब तक
[आत्मा ] यह जीव [पुत्रकलत्रैः मोहितः ] पुत्र, स्त्री आदिकोंसे मोहित हुआ [दुःखं
सहमानः ] अनेक दुःखोंको सहता हुआ [योनिलक्षाणि ] चौरासी लाख योनियोंमें [परिभ्रमति ]
भटकता फि रता है
भावार्थ :यह जीव चौरासीलाख योनियोंमें अनेक तरहके ताप सहता हुआ भटक
रहा है, निज परमात्मतत्त्वके ध्यानसे उत्पन्न वीतराग परम आनंदरूप निर्व्याकुल अतीन्द्रिय सुखसे
विमुख जो शरीरके तथा मनके नाना तरहके सुख-दुःखोंको सहता हुआ भ्रमण करता है
निज
परमात्माकी भावनाके शत्रु जो देहसम्बन्धी माता, पिता, भ्राता, मित्र, पुत्रकलत्रादि उनसे मोहित
১ পাঠান্তর:किंपर्यन्तम् = कियत्पर्यंतं