Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Devanagari transliteration). Prakaskakiy Nivedan.

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प्रकाशकीय निवेदन
आचार्यवर श्री योगीन्दुदेव कृत आ परमात्मप्रकाश ग्रंथ महा अध्यात्मशास्त्र छे, तेना पर श्री
ब्रह्मदेवजीए संस्कृत टीका रचेल छे तथा पं. दौलतरामजीए संस्कृत टीकानो आधार लई अन्वयार्थ तथा
तेमना समयनी प्रचलित देशभाषा(ढुंढारी)मां सुबोध टीका रचेल छे. आ सर्वेने सामेल करी आ ग्रंथनुं
प्रकाशन ‘‘श्रीमद् रायचंद्र जैन शास्त्रमाळा’’ द्वारा करवामां आव्युं हतुं.
परमोपकारी आत्मज्ञसंत पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामीए आ ग्रंथ पर अलौकिक,
स्वानुभवरसगर्भित निजात्मकल्याणप्रेरक प्रवचनो करी मुमुक्षुओने आ अध्यात्मशास्त्रना भावोनुं रहस्य
अत्यंत सरळ रीते समजाव्युं हतुं. जेना परिपाकरूपे अध्यात्मरसिक मुमुक्षुओमां आ महान शास्त्रनो
अभ्यास करवानी रुचि जागृत थई. आ ग्रंथ परनी श्री ब्रह्मदेवजी रचित संस्कृत टीकानो गुजराती
अनुवाद विद्वान भाईश्री अमृतलाल माणेकलाल झाटकिया द्वारा करवामां आव्यो हतो अने गुजराती
अनुवाद सहित आ ग्रंथनुं आ पहेलां प्रकाशन करवामां आवेल.
पूज्य गुरुदेवश्रीनां आ शास्त्र पर थयेलां प्रवचनो टेप थयेलां होवाथी आजे पण CD द्वारा
मुमुक्षुओ अत्यंत रसपूर्वक आ प्रवचनोना श्रवणनो लाभ लई रह्या छे. पूज्य गुरुदेवश्रीनां प्रवचनो थयां
ते समये तेमनी समक्ष पंडित दौलतरामजीनी हिन्दी टीकावाळी आवृत्ति होवाथी पूज्य गुरुदेवश्रीनां
प्रवचनो
CDमांथी सांभळवामां विशेष रसप्रद थाय ते हेतुथी आ आवृत्तिमां गुजराती अनुवादनी साथे
पं. दोलतरामजीनी हिंदी टीकानो पण समावेश करवामां आव्यो छे.
आ संयुक्त आवृत्ति प्रकाशन कर्या पहेलां मूळ प्राकृत गाथाओ, संस्कृत टीका तथा गुजराती
अनुवादमां रहेली भाषाकीय क्षतिओ अत्यंत चीवटपूर्वक सुधाराय तेनी बधी ज काळजी लेवामां आवेल
छे. आ आवृत्तिमां सामेल करवामां आवेल हिंदी टीका माटे अमो श्रीमद् रायचंद्र ग्रंथमाळाना प्रकाशकोनो
पण अंतःकरणपूर्वक आभार मानीए छीए.
आ आवृत्तिना प्रकाशनमां अमने अत्यंत उपयोगी मार्गदर्शन आपवा माटे बाल ब्र. श्री चंदुलाल
जोबाळिया तथा वढवाणनिवासी ब्र. श्री वजुभाई शाहनो पण अंतःकरणपूर्वक आभार मानीए छीए.
तदुपरांत आ कार्यमां मददरूप थनारा सर्वे मुमुक्षुओनो पण आभार मानीए छीए.
अंतमां आ ग्रंथनुं सुंदर मुद्रण कार्य करवा माटे अमो श्री कहान मुद्रणालयना पण आभारी
छीए.
मुमुक्षुओ आ शास्त्रनो पूज्य गुरुदेवश्रीए करेला रहस्योद्घाटनने आत्मसात करी निज
आत्मसाधनामां प्रवृत्त थवा अर्थे आ शास्त्रनो अभ्यास करे एज अभ्यर्थना.
अषाढ वद १
वीर संवत २५३३
ता. ३०-७-२००७
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)