Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (English transliteration). Gatha: 2 (Adhikar 1).

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namaskAr karun chhun evo abhiprAy manamAn dhArIne granthakAr sUtra kahe chheAj kramathI pAtanikAnun
svarUp sarvatra jANavun.
bhAvArthajeo kevaLagnAnAdi mokShalakShmIthI sahit thashe ane samyaktvAdi ATh
guNarUpI vibhUtithI sahit thashe evA te anant siddhagaNone hun namaskAr karun chhun. shun karIne
siddha thashe? ke jeo vItarAg sarvagnapraNIt mArgathI durlabhabodhi prApta karIne AgAmI kALamAn
shivamay, nirupam ane gnAnamay siddha thashe, jem ke shreNik Adi. ahIn ‘shiv’ shabdathI nij
निरुपमज्ञानमया भविष्यन्त्यग्रे तानहं नमस्करोमीत्यभिप्रायं मनसि धृत्वा ग्रन्थकारः सूत्रमाह,
इत्यनेन क्रमेण पातनिकास्वरूपं सर्वत्र ज्ञातव्यम्
२) ते वंदउँ सिरि-सिद्ध-गण होसहिँ जे वि अणंत
सिवमय-णिरुवम-णाणमय परम-समाहि भजंत ।।२।।
तान् वन्दे श्रीसिद्धगणान् भविष्यन्ति येऽपि अनन्ताः
शिवमयनिरूपमज्ञानमयाः परमसमाधिं भजन्तः ।।२।।
ते वंदउं तान् वन्दे तान् कान् सिरिसिद्धगण श्रीसिद्धगणान् ये किं करिष्यन्ति
होसहिं जे वि अणंत भविष्यन्त्यग्रे येऽप्यनन्ताः कथंभूता भविष्यन्ति सिवमयणिरुवमणाणमय
शिवमयनिरुपमज्ञानमयाः, किं भजन्तः सन्तः इत्थंभूता भविष्यन्ति परमसमाहि भजंत
रागादिविकल्परहितपरमसमाधिं भजन्तः सेवमानाः इतो विशेषः तथाहितान् सिद्धगणान्
14 ]
yogIndudevavirachita
[ adhikAr-1 dohA-2
चढ़के उस पर आगामी कालमें कल्याणमय अनुपम ज्ञानमई होंगे, उनको मैं नमस्कार करता
हूँ
गाथा
अन्वयार्थ :[‘अहं’ ] मैं [तान् ] उन [सिद्धगणान् ] सिद्ध समूहोंको [वन्दे ]
नमस्कार करता हूँ , [येऽपि ] जो [अनन्ताः ] आगामीकालमें अनंत [भविष्यन्ति ] होंगे कैसे
होंगे ? [शिवमयनिरूपमज्ञानमया ] परमकल्याणमय, अनुपम और ज्ञानमय होंगे क्या करते
हुए ? [परमसमाधिं ] रागादि विक ल्प रहित परमसमाधि उसको [भजन्तः ] सेवते हुए
भावार्थ :जो सिद्ध होंगे, उनको मैं वन्दता हूँ कै से होंगे, आगामी कालमें सिद्ध,
केवलज्ञानादि मोक्षलक्ष्मी सहित और सम्यक्त्वादि आठ गुणों सहित अनंत होंगे क्या करके
सिद्ध होंगे ? वीतराग सर्वज्ञदेवकर प्ररूपित मार्गकर दुर्लभ ज्ञानको पाके राजा श्रेणिक आदिकके